"मानव प्राकृति का दास है"इस कथन की व्याख्या कीजिए
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उनके विचार में मानव पर्यावरण का दास है और मानव को स्थान विशेष के पर्यावरण के अनुरुप ही जीवन जीने को मजबूर होना पड़ता है। 'नियतिवाद' अथवा 'निश्चितवाद' की इस विचारधारा को वर्तमान में विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता, लेकिन प्राचीन समय में हिप्पोक्रेट्स व अरस्तू सरीखे दार्शनिक इस विचारधारा को मानते थे
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