मानव प्रेम सबसे बड़ा प्रेम विषय पर 200 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए
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इस पृथ्वी पर विद्यमान समस्त प्राणियों में मानव को श्रेष्ठ माना गया है । हमारे शास्त्रों के अनुसार आहार, निद्रा, भय, मैथुन जैसे कार्य पशु भी मनुष्य के समान करते हैं । परन्तु मनुष्य को ईश्वर ने अधिक विकसित मस्तिष्क प्रदान किया है । मनुष्य उचित-अनुचित का विचार करने में सक्षम होता है ।
उसे मानव-धर्म का ज्ञान होता है । मानव-धर्म समस्त प्राणियों से प्रेम करने का संदेश देता है । मानव का यह प्रेम-भाव ही उसे अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ बनाता है । बास्तव में मनुष्य के लिए प्रेम के कारण ही यह संसार सुंदर प्रतीत होता हे । मानव-प्रेम के अभाव में इस पृथ्वी पर जीवन व्यतीत करना मनुष्य के लिए दूभर है ।
वास्तव में मानव-जीवन प्रेम पर आधारित है । प्रेम ही मनुष्य को जीवन जीने की प्रेरणा देता है, प्रेम ही उसे सुख-शांति प्रदान करता है और प्रेम के कारण ही मनुष्य में संघर्ष की क्षमता उत्पन्न होती है । मानव-प्रेम से परिवार बनता है, जिसमें परस्पर सुख-दुःख बांटे जाते हैं ।
परिवार से प्रेम के कारण ही मनुष्य परिवार की सुख-समृद्धि के लिए संघर्ष करता है । अपने परिवार की प्रतिष्ठा के लिए मनुष्य सत्य के मार्ग पर चलने का यथासम्भव प्रयत्न करता है । समाज में सम्मान प्राप्त करने के लिए वह अपना विशेष चरित्र-निर्माण करता है और यह परिवार से, मानव से प्रेम के कारण ही सम्भव होता है ।
इस सुंदर संसार में मानव-प्रेम केवल परिवार तक सीमित नहीं रहता । मनुष्य परिवार के अतिरिक्त अपनी जन्म-भूमि से भी प्रेम करता है, अपने मकान, भवन, खेत-खलीहानों से प्रेम करता है । वह अपने समाज से भी प्रेम करता है और समाज के उत्थान के लिए यथासम्भव प्रयत्न भी करता है मनुष्य अपने पालतू पशु-पक्षियों से भी प्रेम करता है और उनके पालन-पोषण के लिए निरन्तर प्रयास करता है ।
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