मानव पर पर्यावरण के प्रभाव के बारे में अरस्तु के क्या विचार थे?
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- सृष्टि के जीवों में मानव एक मात्र प्राणी है, जिसे यह योग्यता प्राप्त है कि वह आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और तकनीकी क्रिया के द्वारा पर्यावरण के भौतिक परिवेश में परिवर्तन करके सांस्कृतिक परिवेश की रचना करता रहा है। मानव इतिहास के प्रारम्भ से ही अपने चारों ओर के पर्यावरण में रुचि रखता आया है। आदिम समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अस्तित्व हेतु अपने पर्यावरण का समुचित ज्ञान आवश्यक होता था।
- मनुष्य में अग्नि तथा अन्य यंत्रों का प्रयोग पर्यावरण को परिवर्तित करने के लिए सीखा। जांच और भूल विधि द्वारा मानव अपने पर्यावरणीय ज्ञान में वृद्धि करता रहा है। धीरे-धीरे पर्यावरण में संबंधित ज्ञान का भंडार इतना विस्तृत एवं वृहद् हो गया कि इसे विज्ञान का रूप दिया जा सकने की स्थिति आ गई और पर्यावरण अध्ययन के व्यवस्थित रूप “पर्यावरण विज्ञान” का जन्म हुआ।
# Kɑnt Jɑtti
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HERE IS UR ANSWER
प्रकृति स्वभावतः संतुलित पर्यावरण के द्वारा मानव को स्वस्थ जीवन प्रदान करती है। ... यज्ञ द्वारा वायु प्रदूषण को समाप्त करके पर्यावरण को शुद्ध किए जाने की वैज्ञानिक विधि से विज्ञ थे। उन्हें यह भी ज्ञात था कि प्रकृति, स्वाभाविक रूप से जो कुछ अतिरिक्त या अपच है, उसे बाहर करके अपने आप को संतुलित कर लेती है।
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