मानव सेवा ही सच्ची सेवा है इस विषय पर अनुच्छेद लिखें
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सेवा ऐसा भाव है जिसे करने वाला भी सुख पाता है और जिसकी की जाती है वह भी सुख पाता है। सेवा से किसी का अहित नहीं होता बल्कि दो अनजान प्राणी प्रेम के बंधन में बंध जाते हैं। यही सच्ची ईश्वर की सेवा है। मनुष्य सारी उम्र अपनी सुख-सुविधा के लिए प्रयासरत्त रहता है।
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