मानव सेवा से जुड़ी हुई कुछ सुत्तियो को संग्रह करे और
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Explanation:मानव जीवन पाकर तुने क्या किया, खाने- पीने, सोने में ही सारा समय गंवा दिया। इस संसारिक जीवन में बड़ी मुश्किल से मानव जीवन की प्राप्ति होती है। मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए आवश्यक है कि भोग विलास की ¨जदगी छोड़कर अहंकार को त्याग कर मानव सेवा में समर्पित कर दें, ताकि यह जन्म सार्थक हो सके। उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहागाड़ा मैदान में सैकड़ों की संख्या में उपस्थि श्रद्धालुओं को आचार्य श्री महाश्रमण जी महाराज ने मानव जीवन का मूल बताया। जीवन जीने के उद्देश्य व मानव सेवा का महत्व बताते हुए आचार्य श्री ने सत्कर्म की ओर आगे बढ़ने का संकल्प दिलाया।
Explanation:मानव जीवन पाकर तुने क्या किया, खाने- पीने, सोने में ही सारा समय गंवा दिया। इस संसारिक जीवन में बड़ी मुश्किल से मानव जीवन की प्राप्ति होती है। मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए आवश्यक है कि भोग विलास की ¨जदगी छोड़कर अहंकार को त्याग कर मानव सेवा में समर्पित कर दें, ताकि यह जन्म सार्थक हो सके। उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहागाड़ा मैदान में सैकड़ों की संख्या में उपस्थि श्रद्धालुओं को आचार्य श्री महाश्रमण जी महाराज ने मानव जीवन का मूल बताया। जीवन जीने के उद्देश्य व मानव सेवा का महत्व बताते हुए आचार्य श्री ने सत्कर्म की ओर आगे बढ़ने का संकल्प दिलाया।अ¨हसा यात्रा पर निकले जैन श्वेतांबर आचार्य श्री महाश्रमण जी सोमवार को उत्क्रमित मध्य विद्यालय लोहागाड़ा में अपने मंगल प्रवास के दौरान श्रद्धालुओं के बीच उपस्थित थे। आचार्य श्री अ¨हसा यात्रा के क्रम में बिहार प्रांत के छोटे-छोटे गांवों में विहार कर हर सम्प्रदाय के बीच सदभावना, नैतिकता व नशा मुक्ति का संदेश दे रहे हैं। उन्होंनेश्रद्धालुओं से कहा कि चाहे व किसी भी सम्प्रदाय के हों, आपसी प्रेमभाव अवश्य बनाए रखें। मानव सेवा से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं है। हर इंसान का नैतिक पतन हो रहा है। जरूरत है अपनी नैतिकता को हमेशा बनाये रखने का, चाहे आप जिस ओहदे पर विराजमान हों। आचार्य श्री मौके पर ही नशा मुक्ति हेतु उपस्थित लोगों को संकल्प दिलाते हुए कभी भी नशा नहीं करने का संदेश दिया। प्रवचन के दौरान उन्होंने रामायण में श्री राम के वनवास के दौरान राम व सूर्पनखा वार्तालाप परासंग सुना कर लोगों के अन्दर नैतिकता का पाठ पढ़ाया। वहीं मौके पर ही विधायक तौसीफ आलम ने साधू-संतो का स्वागत करते हुए आपसी वैर-भाव त्याग कर मानवता की सेवा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जन्म के समय कोई इंसान हिन्दू, मुस्लिम, शिख या ईसाई नहीं होता बल्कि हम इंसान के रुप में पैदा होते हैं। इससे पूर्व गंभीरगढ़ ठाकुरगंज से बहादुरगंज के लोहागाड़ा हाट पहुंचने के क्रम में श्रद्धालुओं ने जगह-जगह आचार्य श्री से आशीष लिए। वहीं मंगल प्रवास स्थल पर पहुंचते ही हर सम्प्रदाय के लोगों ने खड़े होकर साधू-संतों का स्वागत करते हुए जय-जय ज्योति चरण, जय-जय आचार्य श्री महाश्रमण के गगन भेदी जयघोष लगाए। कार्यक्रम के सफल संचालन में जैन श्वेतांबर तेरापंथी समाज के बिहार प्रभारी राजकरण दफ्तरी, निर्मल कुमार संचेती, पूर्व नगर अध्यक्ष पवन अग्रवाल, सत्यनारायण अग्रवाल, अरुण संचेती, प्रदीप संचेती, मोहन जी, संचय लाल संचेती, अमित जैन, नरेन्द्र चौरड़िया, विजय ¨सह डोगरा, बिमल बरड़िया सहित दर्जनों धर्म प्रेमियों का सहरानीय योगदान रहा।
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