मानव शरीर किससे बना है?
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जल तत्व से मतलब तरलता से है। जितने भी तरल तत्व शरीर में बह रहे हैं वे जल तत्व हैं, चाहे वह पानी हो, खून हो या शरीर में बनने वाले सभी तरह के रस और एंजाइम हों। जल तत्व ही शरीर की ऊर्जा और पोषक तत्वों को पूरे शरीर में पहुचाने का काम करते हैं। इसे आयुर्वेद में कफ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें असंतुलन शरीर को बीमार बना देता है।
अग्नि तत्व ऊर्जा, ऊष्मा, शक्ति और ताप का प्रतीक है। हमारे शरीर में जितनी गर्माहट है, सब अग्नि तत्व से है। यही अग्नि तत्व भोजन को पचाकर शरीर को स्वस्थ रखता है। इसे आयुर्वेद में पित्त के नाम से जाना जाता है। ऊष्मा का स्तर ऊपर या नीचे जाने से शरीर भी बीमार हो जाता है। इसलिए इसका संतुलन जरूरी है।
जिनमें प्राण है, उन सबमें वायु तत्व है। हम सांस के रूप में हवा (ऑक्सीजन) लेते हैं, जिससे हमारा जीवन है। पतंजलि योग में जितने भी प्राण व उपप्राण बताए गए हैं, वे सब वायु तत्व के कारण ही काम कर रहे हैं। आयुर्वेद में इसे वात नाम से जानते हैं।
आकाश तत्व अभौतिक रूप में मन है। जैसे आकाश अनंत है वैसे ही मन की भी कोई सीमा नहीं है। जैसे आकाश अनंत ऊर्जाओं से भरा है, वैसे ही मन की शक्ति की कोई सीमा नहीं है जो दबी या सोयी हुई है। आकाश में कभी बादल, कभी धूल नजर आते हैं तो कभी वह बिल्कुल साफ होता है, वैसे ही मन भी कभी खुशी, कभी उदास तो कभी शांत रहता है। इन पंच तत्वों से ऊपर एक तत्व है आत्मा। इसके होने से ही ये तत्व अपना काम करते हैं। तभी शरीर में ऊर्जा रहती है और वह इन तत्वों को नियंत्रण में रख सकता है।
मनुष्य का शरीर तंत्रिकाओं पर खड़ा है। विभिन्न प्रकार के ऊतकों से मिलकर अंगों का निर्माण हुआ है। शरीरतंत्र में मुख्य चार अवयव हैं- मस्तिष्क, प्रमस्तिष्क, मेरुदंड और तंत्रिकाओं का पुंज। इसके अलावा कई और तंत्र हैं जैसे श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र, ज्ञानेंद्रियां, प्रजनन तंत्र आदि। इन सभी तत्वों को समझ कर हम तत्वों को कुछ प्रयोग के द्वारा संतुलन में कर सकते हैं जिससे हमारे आगे की यात्रा बढ़ सके। जैसे-जैसे हम क्रिया करेंगे उसका अनुभव हमें प्रत्यक्ष मिलेगा। हमारी हाथ की उंगलियों में तत्व संदेश देंगे कि कौन सा तत्व आपके भीतर कम है और कौन सा अधिक है। हम जानते हैं कि हाथ की पांच उंगलियां इन्हीं पांच तत्वों का प्रतिनिधत्व करती हैं। अंगूठा अग्नि का, तर्जनी वायु का, मध्यमा आकाश का, अनामिका पृथ्वी का और कनिष्का जल का प्रधिनिधित्व करती हैं। इन उंगलियों में विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है।
मानव शरीर प्रकृति द्वारा तैयार की गई एक मशीन है जिसके सूक्ष्म संसाधनों व तंत्रों और तत्वों के प्रयोग की सटीक सहज क्रिया के जरिए हम अपनी ऊर्जा को निरंतर गति दे सकते हैं।
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शरीर जिन पांच तत्वों से बना है, क्रमानुसार वे हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।
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