मानव शरीर में पेट का स्थान नीचे है हृदय का ऊपर और मस्तिष्क का सबसे उपरा पशुओं की तरह
उसका पेट और मानस समानान्तर रेखा में नही है जिस दिन वह सीधे तन कर खड़ा हुआ, मानाने
उसके पेट पर विजय की घोषणा की।
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उतर :- प्रस्तुत गद्यांश ‘गेहूँ और गुलाब’ शीर्षक निबन्ध से लिया गया है । इसके लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी जी हैं । इस अंश में लेखक ने मानव और पशुओं की शारीरिक बनावट के अन्तर को समझाया है ।
गद्यांश की व्याख्या :-
लेखक श्री बेनीपुरी जी कहते हैं कि मानव और पशु की शारीरिक रचना में अन्तर है । मानव की शारीरिक रचना में उसके पेट का स्थान नीचे है, पेट के ऊपर हृदय का और हृदय से भी ऊपर मस्तिष्क का स्थान होता है । पशुओं के समान उसका पेट और मानस समानान्तर रेखा में नहीं है । जिस दिन मानव सीधा तनकर खड़ा हो गया उसी दिन मानस (मस्तिष्क) ने उसके पेट पर विजय प्राप्त कर ली ।
लेखक पशु और मानव के अन्तर को बताते हुए कह रहा है कि दोनों में मुख्य अन्तर है कि जहाँ पशु में शारीरिक आवश्यकताओं को प्राप्त करने की इच्छा होती है, वहीं मानव में उच्च विचारों को प्राप्त करने की इच्छा होती है ।
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