मानव शरीर में श्वसन के लिए फुफ्फुस, श्राव के लिए ग्रंथियाँ, संश्लेषण के लिए यकृत व सामग्री वितरण के लिए रूधिर है। इन्हीं चारों क्रियाओं के लिए कोशिका के कौन-कौन से भाग (कोशिकांगक) उत्तरदायी हैं?
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परिचय
श्वसन तंत्र की बीमारिया बहुत आम हैं। पाचन तंत्र की तरह श्वसन तंत्र को भी बाहरी चीजों का कहीं ज़्यादा सामना करना पड़ता है। इसीलिए श्वसन तंत्र की एलर्जी और संक्रमण इतनी आम है। हवा से होने वाली संक्रमण से बचना उतना आसान नहीं है जितना कि खाने व पानी से होने वाली संक्रमण से बचाव करना। बेहतर आहार, घर और स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता (जैसे धुम्रपान से परहेज) यही सामान्यतया महत्वपूर्ण है। लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण भी साँस की बीमारियों के लिए काफी नुकसानदेह है।
श्वसन तंत्र की सभी बीमारियों में खॉंसी होना सबसे आम है। खॉंसी अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। यह असल में किसी न किसी बीमारी का लक्षण है। परन्तु अक्सर इलाज बीमारी के बजाय खॉंसी पर केन्द्रित हो जाता है, जो गलत है। खॉंसी के लिए दिए जाने वाले सिरप आम तौर पर असरकारी नहीं होते। परेशानी की जगह और कारण का निदान ज़रूरी है। श्ससन तंत्र की रचना और कार्य की जानकारी से हमें मदद मिल सकती है।
श्वसन तंत्र कैसे काम करता है?
श्वसन तंत्र मानों एक उल्टा पेड़ है। इसमें सूक्ष्म नलिकाओं और वायुकोश की हवा के बीच गैसों का आदान-प्रदान होता है। छाती की पेशियाँ और फेफड़ों के नीचे का पेशीय पर्दा (मध्य पट) या ड्याफ्राम हवा के अवागमन में मदद करते हैं। श्वसन तंत्र के ऊपरी भाग में नाक, गला और स्वरयंत्र (लैरींक्स) आते हैं। श्वसन तंत्र के निचले भाग में मुख्य श्वास नली और इसकी शाखाएँ यानि श्वसनी, छोटी शाखाएँ और लाखों वायुकोश (एल्वियोलाई) जिनके साथ सूक्ष्म केश नलिकाओं का जाल होता है। श्वसन तंत्र को ऊपरी और निचले भागों में बॉंटकर समझने से आसानी रहती है। ऊपरी भाग का संक्रमण आमतौर पर खुद ठीक हो जाने वाली होता हैं। परन्तु निचले भाग का संक्रमण आम तौर पर गम्भीर होता हैं और कभी कभी जानलेवा हो सकता है।
श्वसनतंत्र का उपरी हिस्सा
नाक के अन्दर गुफानुमा जगह होती है। बाहर से इसका पता नहीं चलता। यह हडि्डयों की बनी गुफा जैसी है, जो अन्दर से पतली झिल्ली से ढकी रहती है। इसमें खास तरह की कोशिकाएँ और तंत्रिकाएँ होती हैं जो सूँघने का काम करती है। एक पतली दीवार नाक की गुफा को दो भागों में बॉंटती है। नाक की इस दीवार में किसी भी एक तरफ उभार आ सकता है इससे वो तरफ छोटी हो जाती है। इस पतली तरफ से साँस लेने में मुश्किल होने लगती है। अगर यह शिकायत बार-बार होने लगे या ज़्यादा परेशानी करे तो इसे आपरेशन से ठीक किया जा सकता है। दीवार से मुलायम हडि्डयों की परत हटा देने से उभार हटता है।