Science, asked by sjha00006, 6 months ago

मानव वृक्क में मूल निर्माण की प्रक्रिया को समझाइए​

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Answered by rashmikerketta1981
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मानव शरीर में उदरीय गुहा के पश्च भाग में रीढ के दोनों ओर एक जोडी वृक्क जायी जाती हैं। एक वयस्क मनुष्य में वृक्क का भार 140 से 150 ग्राम के मध्य होता है। प्रत्येक वृक्क की लम्बाई 10 से 12 सेमी0 के मध्य एवं चौडाई 5 से 6 सेमी0 के मध्य होती है। ये वृक्क देखने में सेम के बीज के समान आकृति वाले होते हैं। इन दोनों वृक्कों में बाएं वृक्क की तुलना में दाहिना वृक्क अपेक्षाकृत आकार में छोटा एवं अधिक फैला हुआ अर्थात मोटा होता है। यह दाहिना वृक्क कुछ नीचे की ओर एवं बाया वृक्क पर की ओर फैला होता है। इन वृक्कों का भीतरी किनारा अवतल एवं बाहरी किनारा उत्तल होता है एवं इनका मध्य भाग गहरा होता है। वृक्कों का मध्य भाग हायलम कहलाता है, इस मध्य भाग से ही रक्त वाहिकाएं वृक्कों में प्रवेश करती है एवं मूत्रवाहिकाएं बाहर निकलती हैं। वृक्क का ऊपरी सिरा उध्र्व ध्रुव एवं निचला सिरा निम्न ध्रुव कहलाता है। प्रत्येक वृक्क के ऊपरी धु्रव पर एकएक अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal Gland) उपस्थित होती है। प्रत्येक वृक्क कैप्सूल के एक आवरण में लिपटा रहता है। यह कैप्सूल तन्तु उतक से बना होता है, जिसे वृक्कीय सम्पुट ( Renal capsule) कहा जाता है इस कैप्सूल में वसा संचित रहती है जिससे यह गद्दी की तरह कार्य करता हुआ वृक्कों को बाह्य आधातों एवं चोटों से सुरक्षित रखने का कार्य करता है।

वृक्क की बाह्य संरचना

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