मानव व्यवहार पर इलेक्ट्रॉनिक प्रदूषण के प्रभाव का वर्णन करे
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hey mate
यह भी सच है कि जैसे-जैसे दिवाली का पर्व नज़दीक आता है,वैसे-वैसे प्रदूषण का सारा बोझ दीपावली के त्यौहार पर डाल दिया जाता है तो क्या यह उचित है? प्रदूषण क्या है? हम सभी तो जानते हैं,पर क्या यह जानना ही काफी है, इसके बारे में चर्चा करके विस्तृत रूप से इसका जिक्र किया जाये तो शायद हम इस पर कुछ समाधान अवश्य निकाल पाने में समर्थ होंगे। प्रदूषण में वृद्धि कई प्रकारों से हुई है। प्रदूषण जल, थल, वायु एवं ध्वनि से मानव जीवन पर अपना कहर डालने लगा है।इसके ज़िम्मेदार कोई दूसरे अंतरिक्ष से आये हुए लोग नहीं है, अपितु हम सभी जिम्मेदार है।हम सभी ने इसे बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है।अनुचित जल का दुरूपयोग के साथ हमने अपने नदी, तालाबों, पोखर, कुओं को गन्दा करने में सबसे बड़ा योगदान दिया है।गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी जैसी कई नदियाँ इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।नतीज़ा बीमारी, जीव-जंतुओं का मरण, गंदगी और प्रदूषण।कल-कारखानों से निकला कूड़ा कचरा तथा अपशिष्ट पदार्थ जिनके द्वारा जल का दूषित होना हमारे लिए घातक होता है। रीति रिवाजों में बंधे हिन्दू भारतीयों के शव के अंतिम संस्कार के लिए नदी में विसर्जन करना और पूजा पाठ के नाम पर फल फूल का का प्रवाहित करना प्रदूषित वातावरण को बढावा देता है तो ऐसे में मात्र दीपावली पर आतिशबाजी रोकने से इन प्रदूषणों से बचा जा सकता है?
यह भी सच है कि जैसे-जैसे दिवाली का पर्व नज़दीक आता है,वैसे-वैसे प्रदूषण का सारा बोझ दीपावली के त्यौहार पर डाल दिया जाता है तो क्या यह उचित है? प्रदूषण क्या है? हम सभी तो जानते हैं,पर क्या यह जानना ही काफी है, इसके बारे में चर्चा करके विस्तृत रूप से इसका जिक्र किया जाये तो शायद हम इस पर कुछ समाधान अवश्य निकाल पाने में समर्थ होंगे। प्रदूषण में वृद्धि कई प्रकारों से हुई है। प्रदूषण जल, थल, वायु एवं ध्वनि से मानव जीवन पर अपना कहर डालने लगा है।इसके ज़िम्मेदार कोई दूसरे अंतरिक्ष से आये हुए लोग नहीं है, अपितु हम सभी जिम्मेदार है।हम सभी ने इसे बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है।अनुचित जल का दुरूपयोग के साथ हमने अपने नदी, तालाबों, पोखर, कुओं को गन्दा करने में सबसे बड़ा योगदान दिया है।गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी जैसी कई नदियाँ इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।नतीज़ा बीमारी, जीव-जंतुओं का मरण, गंदगी और प्रदूषण।कल-कारखानों से निकला कूड़ा कचरा तथा अपशिष्ट पदार्थ जिनके द्वारा जल का दूषित होना हमारे लिए घातक होता है। रीति रिवाजों में बंधे हिन्दू भारतीयों के शव के अंतिम संस्कार के लिए नदी में विसर्जन करना और पूजा पाठ के नाम पर फल फूल का का प्रवाहित करना प्रदूषित वातावरण को बढावा देता है तो ऐसे में मात्र दीपावली पर आतिशबाजी रोकने से इन प्रदूषणों से बचा जा सकता है?
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मानव व्यवहार पर इलेक्ट्रॉनिक प्रदूषण का प्रभाव इस प्रकार है -
- जैसा कि उल्लेख किया गया है, इलेक्ट्रॉनिक कचरे में जहरीले घटक होते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं, जैसे पारा, सीसा, कैडमियम, पॉलीब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स, बेरियम और लिथियम।
- मनुष्यों पर इन विषाक्त पदार्थों के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों में मस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे और कंकाल प्रणाली की क्षति शामिल है।
- यह मानव शरीर की तंत्रिका और प्रजनन प्रणाली को भी काफी प्रभावित कर सकता है, जिससे रोग और जन्म दोष हो सकते हैं।
- ई-कचरे का अनुचित निपटान वैश्विक पर्यावरण के लिए अविश्वसनीय रूप से खतरनाक है, यही वजह है कि इस बढ़ती समस्या और इसके खतरे के बारे में जागरूकता फैलाना इतना महत्वपूर्ण है।
- ई-कचरे के इन विषाक्त प्रभावों से बचने के लिए, उचित रूप से ई-साइकिल का होना महत्वपूर्ण है, ताकि वस्तुओं को पुनर्नवीनीकरण, नवीनीकृत, पुनर्विक्रय या पुन: उपयोग किया जा सके।
- निपटान के सही उपायों पर शिक्षित नहीं होने पर ही ई-कचरे की बढ़ती धारा खराब होगी।
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