मानव वन्य जीवन संघर्ष का वर्णन कीजिए?
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Explanation:
वन्यजीवों और मनुष्यों में इस तरह की घटनाओं की बढ़ती संख्या को जैव विविधता से जोड़ते हुए विशेषज्ञ निरंतर चेतावनी देते हैं कि मानव के इस अतिक्रामक व्यवहार से पृथ्वी पर जैव असंतुलन बढ़ रहा है। विज्ञान तथा तकनीकी के विकास से वन्य जीवों की हिंसा से उत्पन्न होने वाले भय तथा नुकसान से मनुष्य निश्चित रूप से लगभग मुक्त हो चुका है।
वन्यजीव अपने प्राकृतिक पर्यावास की तरफ स्वयं रुख करते हैं, लेकिन एक जंगल से दूसरे जंगल तक पलायन के दौरान वन्यजीवों का आबादी क्षेत्रों में पहुँचना स्वाभाविक है। मानव एवं वन्यजीवों के बीच संघर्ष का यही मूल कारण है। मानव तथा वन्यजीवों के बीच होने वाले किसी भी तरह के संपर्क की वज़ह से मनुष्यों, वन्यजीवों, समाज, आर्थिक क्षेत्र, सांस्कृतिक जीवन, वन्यजीव संरक्षण या पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव मानव-वन्यजीव संघर्ष की श्रेणी में आता है।
वन विशेषज्ञों के अनुसार, मानवजनित अथवा प्राकृतिक परिस्थितियाँ वन्यजीवों को मानव पर आक्रमण करने को विवश करती हैं। जब कभी जंगल बहुतायत में थे तब मानव और वन्यजीव दोनों अपनी-अपनी सीमाओं में सुरक्षित रहे, लेकिन समय बदला और आबादी भी बढ़ी...फिर शुरू हुआ वनों का अंधाधुंध विनाश। इसके परिणाम में सामने आया, कभी न खत्म होने वाला मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष का सिलसिला।
मनुष्य अपनी अनेकानेक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये जंगलों का दोहन करता रहा है, जिसकी वज़ह से मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाएँ अधिक सामने आ रही हैं। कृषि का विस्तार, बढ़ती आबादी के लिये आवास, शहरीकरण और औद्योगीकरण में वृद्धि, पशुधन पालन, विभिन्न मानव आवश्यकताओं के लिये वन कटान, चराई के कारण वनों के स्वरूप में बदलाव, बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ, झूम (स्थानांतरण) कृषि ऐसी ही कुछ वज़हें हैं।
इसके अलावा जलवायु परिवर्तन ने भी वन्य जीवों को प्रभावित किया है या यूँ कहा जाए कि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर वन्य जीवों पर पड़ता है तो गलत नहीं होगा। वन्य जीवों के प्रभावित होने से उनके प्राकृतिक पर्यावास नष्ट हो जाते हैं, जिससे वन्यजीव मानव बस्तियों की ओर पलायन करते हैं और इससे मनुष्यों व वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ता है।
Answer:
sorry i don't no vary vary sorry