मानवीय गुणों का विकास कैसे संभव है
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मानवीय गुणों से संभव है व्यक्तित्व विकास: डोंगरे व्यक्तित्वका विकास केवल मानवीय गुणों से ही संभव है। मनुष्य के कर्म उसके व्यक्तित्व की पहचान होते हैं। कर्म करने की शैली ही कार्य संस्कृति है।
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मानवीय गुणों का विकास कैसे संभव है
Explean : व्यक्तित्वका विकास केवल मानवीय गुणों से ही संभव है। मनुष्य के कर्म उसके व्यक्तित्व की पहचान होते हैं। कर्म करने की शैली ही कार्य संस्कृति है। यह बात एमजीएम कॉलेज में आयोजित नेशनल वर्कशॉप के समापन अवसर पर विशिष्ट अतिथि कैलाश डोंगरे ने वर्कशॉप को संबोधित करते हुए कही। एमजीएम कॉलेज में हिंदी विभाग के तत्वावधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला का समापन शुक्रवार को हुआ। इस अवसर पर वक्ता के रूप में विदिशा के डॉ.रामेश्वर तिवारी, विषय प्रवर्तक भोपाल के डॉ.उमेश सिंह, डॉ.अवधेश शुक्ल, रामप्रकाश त्रिपाठी उपस्थित थे। समापन सत्र की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ.एलएल दुबे ने की।
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