"मानवीय करुणा की दिव्य चमक' पाठ में लेखक ने लिखा है – “नम आँखों
को गिनना स्याही फैलाना है।" लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
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लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिए कहा है क्योंकि फ़ादर नेक दिल वाले वह व्यक्ति थे जिनकी रगों में दूसरों के लिए प्यार, अपनत्व और ममता भरी थी
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