मानवीय करुणा की दिव्य चमक वर्तमान में पाठ की प्रसिंगक्ता का विंदुबर विवरण
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पाठ का सार manviya karuna ki divya chamak short summary - मानवीय करुणा की दिव्य चमक एक संस्मरण है जो की सर्वेश्वर दयाल सक्सेना लिखा गया है। अपने को भारतीय कहने वाले फादर बुल्के जन्मे तो बेल्जियम के रैम्सचैपल शहर में जो गिरजों ,पादरियों ,धर्मगुरुओं भूमि कही जाती है परन्तु उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया भारत को।
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