मानवीय मूल्य वाले शब्दों का
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Explanation:
नैतिक मूल्यों का संबंध ‘स्व’ से है। यहां ‘स्व’ का अर्थ बद्धि तथा भावना से है जो सयुक्त रूप से आत्मा के अर्थ मे समझा जाता है। यह व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक का कार्य करता है। चूंकि नैतिक मूल्यों की संख्या एक से अधिक है अतः इन्हें समग्र रूप से मुल्य व्यवस्था (मूल्यतंत्र) क रूप में समझा जा सकता है। मूल्य-तंत्र अथवा मल्यों की व्यवस्था एक स्थायी संगठन के समान होती है जो मानव अस्तित्व के विभिन्न स्तरों या आयामों के साथ व्यक्ति के अनुकूलन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण प्रोत्साहन उनका मार्गदर्शन भी करती है। मल्यों की इस व्यवस्था में किसी दो मूल्यों की महत्ता के बीच सापेक्ष संबंध होता है उदाहरणस्वरूप ‘ईमानदारी’ एक व्यक्ति के लिए ‘सफलता’ के मुकाबले के बीच सापेक्ष संबंध होता है। उदाहरणस्वरूप ‘ईमानदारी’ एक व्यक्ति का अधिक वांछनीय हो सकती है क्योंकि उसकी नजर में ईमानदारी सफलता सा अन्य व्यक्ति इसके ठीक विपरीत भी सोच सकता है।
आप पढ़ोगे [hide]
1 नीतिशास्त्र और लोक प्रशासन
1.1 लोक संबंध
1.2 लोक संबधों में नैतिकता
1.3 लोक संबंधों में नैतिक मूल्य
2 मानवीय मूल्य
2.1 मानवीय मूल्यों की अन्तर्वस्तु
3 आधारभूत मानवीय मूल्य
3.1 सत्यता (सत्य)
3.2 प्रेम और सेवा भावना
3.3 शांति
3.4 अहिंसा
3.5 न्याय
4 मानवीय मूल्य: महान नेताओं के जीवन से शिक्षा
5 महान प्रशासकों के जीवन से शिक्षा
6 महान सुधारकों के जीवन से शिक्षा
7 मानवीय मूल्यों के आत्मसातीकरण में परिवार की भूमिका
8 मल्यों के आत्मसातीकरण में समाज की भूमिका
9 मूल्यों के आत्मसातीकरण में शिक्षण संस्थानों की भूमिका
नीतिशास्त्र और लोक प्रशासन
आज के बदलते सामाजिक आर्थिक व प्रशासनिक सन्दर्भो में नीतिशास्त्र अत्यधिक प्रासंगिक हा सका पहुच अब लोक प्रशासन तक हो चकी है। वस्तत: नीतिशास्त्र का मानव आस्तत्व आचामा स कार्यात्मक सबंध है। प्रस्तत शीर्षक के अंतर्गत हम नीतिशास्त्र के विभिन्न पक्षों को लोक प्रशासन के संदर्भ में समझें। सामान्य तौर पर कुछ सूत्रों (नियमा) क सहार इन पता सरलतापूर्वक समझा जा सकता है। ये हैं:-
विवकपूर्णता एवं वैधता का सूत्रः नियम और कानन इसलिए बनाए जाते हैं ताकि विभिन्न प्रकार की नीतियों एवं इनसे जडे निर्णयों का कार्यान्वयन एवं संचालन किया जा सके। अत: एक प्रशासक स यह आशा की जाती है कि वह इन नियमों व कानूनों का अक्षरश: पालन करे।