Hindi, asked by piyushnahar9, 9 months ago

मानवीय मूल्य वाले शटों कर
चार्ट बनाओ। इन जब्दों में
किसी एक शब्द से संबंधित
कोई प्रसंग/चटता सुनो और
सुनाओ।
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od
oro
संभाषणीय
बनाया जाए । हमारी परंपरा महिमामयी और सस्कार
उज्ज्वल हैं क्योंकि अपने आप पा, अपने आप द्वारा लगाया हुआ
बंधन हमारी संस्कृति की बहुत बड़ी विशेषता है।
मनुष्य पशु से किस बात में भिन्न है ! उसमें संयम है, दूसरे के
सुख-दुख के प्रति समवेदना है, श्रद्धा है, तप है, त्याग है । इसीलिए
मनुष्य झगड़े-टंटे को अपना आदर्श नहीं मानता, गुस्से में आकर
चढ़-दौड़ने वाले अविवेकी को बुरा समझता है । वचन, मन एवं शरीर
से किए गए असत्याचरण को गलत मानता है।
ऐसा कोई दिन आ सकता है
जब मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना
बंद हो जाएगा। प्राणिशास्त्रियों का
ऐसा अनुमान है कि मनुष्य का
अनावश्यक अंग उसी प्रकार झड़
जाएगा, जिस प्रकार उसकी पूँछ झड़ गई है । उस दिन मनुष्य की पशुता
भी लुप्त हो जाएगी। शायद उस दिन वह मरणास्त्रों का प्रयोग भी बंद
कर देगा । नाखून का बढ़ना मनुष्य के भीतर की पशुता की निशानी है
और उसे नहीं बढ़ने देना मनुष्य की अपनी इच्छा है, अपना आदर्श है।
मनुष्य में जो घृणा है जो अनायास बिना सिखाए आ जाती है, वह
पशुत्व का द्योतक है । अपने को संयत रखना, दूसरे के मनोभावों का
आदर करना मनुष्य का स्वधर्म है। बच्चे यह जानें तो अच्छा हो कि
अभ्यास और तप से प्राप्त वस्तुएँ मनुष्य की महिमा को सूचित करती हैं।
मनुष्य की चरितार्थता प्रेम में है, मैत्री में है, त्याग में है, अपने को
सबके मंगल के लिए निःशेष भाव से दे देने में है । नाखूनों का बढ़ना
मनुष्य की उस अंध सहजात वृत्ति का परिणाम है जो उसके जीवन में
सफलता ले आना चाहती है। उसको काट देना उस स्वनिर्धारित,
आत्मबंधन का फल है जो उसे चरितार्थता की ओर ले जाती है।
नाखून बढ़ते हैं तो बढ़ें, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा।
विविध संवेदनशील मुद्दे
विश्यों (जैसे-जाति, धर्म, रंग,
लिंग, रीति-रिवाज) के बारे में
अपने शिक्षक से प्रश्न पूछो।
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लेखनीय
1
'सुरक्षा हेतु शस्त्रों की भरमार
विषय के पक्ष-विपक्ष में अपने
विचार लिखो।
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Answers

Answered by ashulk482
1

Answer:

yeh kya hai ...patha nahi

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