मानवता से विश्व कल्याण होता है । कैसे ?
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मानव’ अथवा “मानवता” शब्द से अनेक प्रकार के अधिकारों और कर्तव्यों का बोध होता है। हमारे शास्त्रों के मतानुसार पूर्व जन्म के कर्मों के परिणाम स्वरूप ही बुरे और भले फल की प्राप्ति होती है। उच्च कोटि के सत्कर्म करने से ही जीव मानव योनि में आता है, और उसमें भी किसी ज्ञानी और शुभ कर्म करने वाले के यहाँ जन्म लेना और भी सौभाग्य का लक्षण है। आत्मा का स्वभाव ही नाना योनियों में भ्रमण करने का है और मुक्ति प्राप्त होने से पूर्व मनुष्य को भी बहुत से शरीरों में अवतरित होना पड़ता है। गीता में स्पष्ट कह दिया गया है- “ अनेक जन्म संसिद्धि ततोः यान्ति पराँगतिम्”। अपने पूर्व जन्मों के संचित कर्मों का फल भोगने के लिये ही जीवात्मा भौतिक शरीर में आता है और संसार में भ्रमण करते हुये वह भविष्य के लिये “क्रियमाण-कर्म करता रहता है। वह जैसा कार्य इस समय कर रहा है, उसे उसी प्रकार का फल भविष्य में सहन करना पड़ेगा। गोस्वामी जी का कथन सर्वथा सत्य है-
मानव जब अच्छे कर्म करते है तब