मानववाद ने चर्च को किस प्रकार चुनौती दी हिंदी में बताइए
Answers
मानवतावाद ने मानवीय कार्यों के महत्व पर जोर देकर चर्च/पोप को चुनौती दी।
- मानवतावाद सार्वभौमिक मानवीय गरिमा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, और खुशी के महत्व को यीशु की शिक्षाओं के आवश्यक और प्रमुख घटक के रूप में मानता है।
- पुनर्जागरण इस समय एक बौद्धिक आंदोलन किया गया जिसे मानवतावाद के रूप में जाना जाता है। मानवतावाद ने इस विचार को बढ़ावा दिया कि मनुष्य अपने स्वयं के ब्रह्मांड के केंद्र में हैं l सभी मनुष्यों को शिक्षा, शास्त्रीय कला, साहित्य एवं विज्ञान इन सभी में मानवीय उपलब्धियों को अपनाना चाहिए ।
- मानवतावाद के पहलू ने चमत्कारों के माध्यम से भगवान के हस्तक्षेप के बजाय घटनाओं से संबंधित मानवीय क्रियाकलाप करने पर जोर दिया गया है l
- मानवतावाद के अनुसार मानव इस सृष्टि का एक अभिन्न अंग है और स्वस्थ रहने के विकास की प्रक्रिया का एक परिणाम है।
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Answer:
मानवतावादियों ने लोगों को बताया कि चर्च को उसकी न्यायिक और वित्तीय शक्तियाँ 'कांस्टैनटाइन के अनुदान' नामक दस्तावेज के अनुसार मिली थी। उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज जालसाजी से तैयार करवाया गया। इस बात ने चर्च के अधिकारों के औचित्य को चुनौती दी जिससे राजाओं को खशी हुई।
Explanation:
पुनर्जागरण मानवतावाद के इस पहलू ने चमत्कारों के माध्यम से भगवान के हस्तक्षेप के बजाय घटनाओं से संबंधित मानवीय कार्यों के महत्व पर जोर देकर चर्च/पोप को चुनौती दी। यह आविष्कार लोकभाषाओं में जनता के लिए लिखित कार्य उपलब्ध कराकर चर्च के अधिकार को चुनौती देगा। मानवतावादियों ने लोगों को बताया कि चर्च को उसकी न्यायिक और वित्तीय शक्तियाँ 'कांस्टैनटाइन के अनुदान' नामक दस्तावेज के अनुसार मिली थी। उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज जालसाजी से तैयार करवाया गया। इस बात ने चर्च के अधिकारों के औचित्य को चुनौती दी जिससे राजाओं को खशी हुई।इसके अनुसार या विश्व धर्म नहीं है अभी तो सत्य है या परिवर्तनशील है और निरंतर विकासशील है। यह जीवन का जैविक दृष्टिकोण स्वीकार करता है और शरीर तथा आत्मा के दो अर्थ वाले परंपरागत विचार को नहीं मानता। मानवतावाद के अनुसार मानव इस सृष्टि का एक अंग है और स्वस्थ के विकास की प्रक्रिया का परिणाम है। रोम तथा यूनानी विद्वानों ने कई क्लासिक ग्रंथ लिखे थे। परंतु शिक्षा के प्रसार के अभाव में इन गूढ ग्रंथों को पढ़ना संभव नहीं था। परंतु तेरहवीं तथा चौदहवीं शताब्दी में इटली में शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ इन ग्रंथों का अनुवाद भी हुआ। इन्हीं ग्रंथों तथा इन पर लिखी गई टिप्पणियों ने इटली के लोगों को मानवतावादी विचारों से परिचित करवाया।इटली में ही सर्वप्रथम विद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में मानवतावादी विषय भी पढ़ाए जाने लगे। इन विषयों में प्राकतिक विज्ञान, मानव शरीर रचना विज्ञान, खगोल शास्त्र औषधि विज्ञान, गणित आदि विषय शामिल थे। इन विषयों ने लोगों की सोंच को मानव और उसकी भौतिक सुख-सुविधाओं पर केंद्रित किया।
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