म पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाएँगे।
हम बहता जल पीनेवाले
मर जाएँगे भूखे-प्यासे
कहीं भली है कटुक निबौरी
कनक-कटोरी की मैदा से।
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isme question kya hai yr....
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question pura nahi pucha aapne..
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