मापनी किसे कहते हैं मापनी के प्रकार का वर्णन कीजिए
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मानचित्र में प्रदर्शित किन्ही दो बिन्दुओं के बीच की दूरी तथा उन बिन्दुओं के बीच की धरातल पर वास्तविक दूरी के मध्य के अनुपात को उस मानचित्र की मपनी कहतें हैं।
Explanation:
मापनी विधियों में निर्धारण मापनी, सामाजिक दूरी मापनी, अभिवृति मापनी, मूल्य-मापनी आदि मुख्य रूप से आती है। ... निर्धारण मापनी वास्तव में किसी व्यक्ति में उपस्थित गुणों की मात्रा, उसकी तीव्रता तथा बारम्बारता के सम्बन्ध में अन्य व्यक्तियों से सूचना प्राप्त करने का एक साधन है।
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मापनी - मानचित्र में प्रदर्शित किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी तथा उन बिंदुओं के बीच की धरातल पर वास्तविक दूरी के मध्य के अनुपात को उस मानचित्र की मापनी कहते हैं।
मापन के ये चार स्तर (प्रकार) -
- नामित मापन
- क्रमित मापन
- अन्तरित मापन
- अनुपातिक मापन
- नामित मापन: यह सबसे कम परिमार्जित स्तर का मापन है। इस प्रकार का मापन किसी गुण अथवा विशेषता के नाम पर आधारित होता है। इसमें व्यक्तियों अथवा वस्तुओं को उनके किसी गुण अथवा विशेषता के प्रकार के आधार पर कुछ वर्गों या समूहों में विभक्त कर दिया जाता है। इन वर्गों में किसी भी प्रकार का कोई अन्तर्निहित क्रम अथवा सम्बन्ध नही होता है।
- क्रमित मापन: यह नामित मापन से कुछ अधिक परिमार्जित होता है। यह मापन वास्तव में गुण की मात्रा के आकार पर आधारित होता है। इस प्रकार के मापन में व्यक्तियों अथवा वस्तुओं को उनके किसी गुण की मात्रा के आधार पर कुछ ऐसे वर्गों में विभक्त कर दिया जाता है, जिनमें एक स्पष्ट अन्तर्निहित क्रम निहित होता है। इन वर्गों में से प्रत्येक को कोई नाम, शब्द, अक्षर, प्रतीक या अक प्रदान कर दिये जाते हैं। जैसे छात्रों को उनकी योग्यता के आधार पर श्रेष्ठ, औसत व कमजोर छात्रों के तीन वर्ग में बाँटना क्रमित मापन का एक सरल उदाहरण है।
- अन्तरित मापन: यह नामित व क्रमित मापन से अधिक परिमार्जित होता है। अंतरित मापन गुण की मात्रा अथवा परिमाण पर आधारित होता है। इस प्रकार के मापन में व्यक्तियों अथवा वस्तुओं में विद्यमान गुण की मात्रा को इस प्रकार की ईकाइयों के द्वारा व्यक्त किया जाता है कि किन्हीं दो लगातार ईकाइया में अन्तर समान रहता है। जैसे छात्रों को उनकी गणित योग्यता के आधार पर अंक प्रदान करना अन्तरित मापन का एक सरल उदाहरण है। यहाँ यह स्पष्ट है कि 35 एवं 36 अंकों के बीच ठीक वही अन्तर होता है जो अन्तर 48 व 49 अंकों के बीच होता है।
- अनुपातिक मापन: यह मापन सर्वाधिक परिमार्जित स्तर का मापन है। इस प्रकार के मापन में अन्तरित मापन के सभी गुणों के साथ-साथ परम शून्य या वास्तविक शून्य की संकल्पना निहित रहती है। परम शून्य वह स्थिति है जिस पर कोई गुण पूर्ण रूपेण अस्तित्व विहीन हो जाता है। जैसे- लम्बाई, भार या दूरी का मापन अनुपातिक मापन है क्योंकि लम्बाई, भार या दूरी के पूर्ण रूपेण अस्तित्व हीन होने की संकल्पना की जा सकती है। अनुपातिक मापन की दूसरी विशेषता इस पर प्राप्त मापों की अनुपातिक तुलनीयता है।
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