Hindi, asked by Champabisht68, 2 months ago

में पढ़ें।
जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। लड़के सबसे ज्यादा प्रसन्न हैं। रोज़ों से उन्हें कोई खास मतलब
नहीं, पर ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज़ है। उनके लिए तो बस ईद है।
दिनों से रोज़ ईद का नाम रटते थे, आज वह आ गई। बार-बार जेब से खजाना निकालकर
गिनते हैं। किसी के पास दस पैसे हैं. किसी के पास बारह तो किसी के पास पंद्रह। इन्हीं पैसों
से तो वे मेले में खिलौने, मिठाइयाँ और न जाने क्या-क्या खरीदेंगे। आज हामिद भी
खुश है।
हामिद के माँ-बाप मर चुके हैं, केवल
बूढ़ी दादी है। वही उसके लिए सब
कुछ है। उसकी दादी अमीना कोठरी में
बैठी रो रही है। आज ईद का दिन है
और उसके घर में दाना तक नहीं है।
हामिद के पाँव में जूते नहीं हैं, सिर पर
एक पुरानी टोपी है। फिर भी हामिद
खुश है। वह भीतर जाकर दादी से
कहता है, “तुम डरना नहीं अम्मा! मैं
सबसे पहले आऊँगा। बिलकुल न
डरना।"

Answers

Answered by ayushi9633
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Answer:

बिहार में चले छात्र आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन का रूप लिया। यह आंदोलन मार्च 1974 में छात्रों द्वारा बढ़ती कीमतों, खाद्यान्नों की उपलब्धि के अभाव, बढ़ती बेरोजगारी, शासन में फैले भ्रष्टाचार, आम आदमी के दुखों की और राज्य सरकार की अनदेखी आदि के आधार पर चलाया गया।

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