Hindi, asked by boy209380, 1 month ago

मेरी असफलताएं किस युग की रचना है​

Answers

Answered by tushargupta0691
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उत्तर:

मेरी आसफलताएं बाबू गुलाब राय की जिंदगी की आखिरी कृति है।

व्याख्या:

  • उनके कार्यों को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।
  • दार्शनिक। उनका अधिकांश प्रारंभिक कार्य इसी श्रेणी में आता है। चूंकि वह शिक्षा के साथ-साथ पेशे से एक दार्शनिक थे (महाराजा के दरबार में उनके काम में उन्हें राजा का "दार्शनिक साथी" होना शामिल था।) वे गांधीवादी दर्शन से बहुत प्रेरित थे और उनके कई काम एक विश्लेषणात्मक प्रदान करते हैं। साथ ही इसका वैज्ञानिक बचाव भी। राष्ट्रीयता, जो राष्ट्रवाद पर निबंधों का संकलन है, राष्ट्रवाद के सबसे परिपक्व और तर्कसंगत विवरणों में से एक है। वह इस क्रम में उन्हें प्राथमिकता देते हुए अंतर्राष्ट्रीयता, राष्ट्रवाद और क्षेत्रवाद के बीच सद्भाव के सिद्धांत की वकालत करते हैं।
  • साहित्यिक निबंध। वे 20वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में द्विवेदी और शुक्ल युग के एक प्रमुख हिंदी आलोचक थे, जो हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग था। उन्होंने, महावीर प्रसाद द्विवेदी और आचार्य रामचंद्र शुक्ल की पसंद के साथ, इस रूप को एक बहुत ही आवश्यक दार्शनिक और विश्लेषणात्मक प्रोत्साहन दिया।
  • हास्य व्यंग्य। एक व्यंग्यकार के रूप में उनके आउटपुट में उनके सबसे प्रसिद्ध काम शामिल हैं जो उनके जीवन के बाद के हिस्से में निर्मित किए गए थे। उनकी आत्मकथा, मेरी असफ़ल्टैन ("मेरी विफलताएँ") इनमें से एक थी और इसमें उन्होंने खुद को हास्य का विषय बनाया और अपने जीवन की विफलताओं के बारे में पाठक का मनोरंजन किया।

इस प्रकार यह उत्तर है।

#SPJ2

Answered by pinkypearl301
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Answer:

20वीं शताब्दी की की रचना है​

Explanation:

” मेरी असफलताएं “ एक आत्मकथा है जो ‘बाबू गुलाब राय’ के द्वारा लिखी गयी है। बाबू गुलाब राय जी हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध साहित्यकार,निबंधकार और व्यंग्यकार थे। उन्होंने अपने जीवन में अनेक साहित्य का निर्माण किया था। श्री बाबू गुलाब राय जी का जन्म 17 जनवरी 1888 में हुआ था और उनकी मृत्यु 13 अप्रैल 1963 में हुई थी। उन्होंने ‘मेरी असफलताएं’ को जंग और विनोद वाली शैली में रचना की है, जिसके चलते यह आत्मकथा पढ़ने में रोचक और मजेदार लगता है।

आत्मकथा’ कोई भी व्यक्ति अक्सर अपने जीवन के अंतिम चरण के आस-पास ही लिखता है। जब उसका अधिकतर जीवन व्यतीत हो चुका होता है और उसने अपने जीवन में कुछ उल्लेखनीय काम किया है या फिर कुछ हासिल कर लिया होता है। आत्मकथा प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण व्यक्ति ही लिखते हैं, जिनके बारे में लोग पढ़ कर जानने के लिये उत्सुक होते हैं। अक्सर लोग आत्मकथा गंभीर शैली में लिखते हैं। लेकिन बाबू गुलाब राय जी ने विनोद और हास्य शैली में इस आत्मकथा को लेख कर अद्भुत कार्य किया है।

‘आत्मकथा’ गद्य की वो विधा है, जिसमें कोई व्यक्ति खुद अपने जीवन के विषय में लिखता है। वह अपने जीवन के पहलुओं को और जीवन में घटी महत्वपूर्ण घटनाओं को अपने पाठक को बयान करता है। अपने जीवन के अपने संस्मरणों को लिखने के साथ साथ उन संस्करणों पर अपने विचार प्रस्तुत करता है और अपने पाठकों को उसकी जीवन से जुडी हर छोटी बड़ी बात का हिस्सा बनाता है ।

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