Hindi, asked by wwwrajuparjapat, 3 months ago


मीराबाई की भक्ति पदाति पर अपनी टिप्पणी दीजिए।​

Answers

Answered by lavibisht10
6

Explanation:

• मीराबाई की भक्ति- भावना िथा उनके पदों का भाव- सौंदर्य |

मीराबाई हििंदी साहित्र् के भक्ति काल की श्रेष्ठिम भति कवयर्त्री िै। मध्र्कालीन वैष्णव भतिों में मीरा

एकमात्र ऐसी नारी िै क्िसकी अनुभूयि की िीव्रिा, भक्ति की समपयण शीलिा और अभभव्र्क्ति की

वेधकिा का कोई िोर निीिं वि कृष्ण की ऐसी अनन्र् उपाभसका िै, क्िनको वेदना की गायर्का के रूप में

प्रयिष्ठा प्राप्ि िै । मीराबाई का िन्म 1504 ईस्वी में मेड़िा के समीपविी गािंव कुकी में राठौर विंशी

पररवार में िुआ था उनके पपिा का नाम रिन भसिंि थामीरा की मािा का यनधन बचपन में िी िो गर्ा

था अिः वे मेड़िा में राव दूदा के पास रिी क्िन्िोंने उन्िें वैष्णव भक्ति के सिंस्कार हदए मीराबाई का

पववाि चचत्तौड़ के राणा सािंगा के बड़े पुत्र भोिराि से िुआ । दुभायग्र्वश वे 7 वर्य बाद िी पवधवा िो गई

वे ित्कालीन प्रथा के अनुसार सयि निीिं िुई पररणामिः क रािपररवार में उन्िें पवरोध झेलना पड़ा। वे

अपना अचधकािंश समर् पूिा पाठ एविं भक्ति में व्र्िीि करने लगी राणा सािंगा के उत्तराचधकारी पवक्रम

भसिंि ने मीरा को अनेक र्ािनाएिं दी पर चगरधर गोपाल के प्रयि मीरा की भक्ति भावना अपवचल रिी।

कृष्ण काव्र् परिंपरा के सिंप्रदार् यनरपेक्ष कपवर्ों में मीरा का स्थान अन्र्िम िै उनका समस्ि पदावली

साहित्र् एकािंयिक माधुर्य की साचधका , भाव पवह्वल आत्म यनवेदन िैस्त्री िोने के कारण उनकी माधुर्य

भाव की उपासना और भी यनखर उठिी िै मीराबाई की भी रचना में दो प्रकार की साधना पद्धयि पाई

िािी िै ।

• एक िो वि क्िसमें मीरा कृष्ण को अपना पयि मान कर माधुर्य भाव के आधार पर हृदर् की

समस्ि रागआत्मक वृयिर्ों को एकाग्र कर अपने पप्रर्िम के चरणों पर सब कुछ न्र्ोछावर कर

देिी िै। लोक लाि कुल िानी आहद कक उन्िें रत्ती भर भी परवाि निीिं रििी और पैरों में घुिंघरू

बािंधकर िथा िाथ में करिाल लेकर चगरधर गोपाल के सामने गािे गािे मूयछयि िो िािी िैपूणय

आत्मपवश्वास के साथ ललकार कर कििी िै कक-

• ‘िाके भसर मोर मुकुट मेरो पयि सोई !’

िथा उसके प्रयि अलौककक सिंबिंधों की समस्ि भावना अनुभूयि को खुले हृदर् से व्र्िंक्ििि करिी िैिथा

वि क्िसमें उन्िोंने भगवान को बािर निीिं िरद्र् में वास करने वाला बिलार्ा िै। उनका किना िै कक वि

सूर्य, चिंद्र, पृथ्वी, पवन ,पानी , आकाश के नष्ट िो िाने पर भी सदा अटल रिने वाला िै । वि उसके

द्वार पर खड़ी िोकर पुकारिी िैिो भी उनके अनुसार िो वि राम अगम एविं अिीि िैवि आहद अनाहद

साहिब िै क्िसकी सेि गगन मिंडल पर बबछा करिी िैं। उति ज्ञान को उन्िें उनके सिगुरु ने सुझार्ा िै

उन्िोंने शब्द का ढेर लगा हदर्ा क्िससे उनकी भ्रम की ककवारी खुल गई । उनका मन अमर रस का

प्र्ाला पीने के भलए व्र्ाकुल िै क्िससे आवागमन से मनुष्र् सदा के भलए छुटकारा भमल िाए। इसी

कारण वे अपने सािब को बत्रकुटी मिल में बसाने सुन्न मिल में सूरि िमाने िथा सुख की सेि बबछाने

के भलए आिुर िान पड़िे िैं।

please mark brainliest ✌✌

Answered by prajapatgajendra10
1

Answer:

hiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii

Similar questions