मीराबाई के जीवन परिचय एवं साहित्यिक विशेषताएँ
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Answer: मीराबाई का जन्म जोधपुर के चोकड़ी (कुड़की) गांव में 1503 में हुआ माना जाता है ।13 वर्ष की उम्र में मेवाड़ के महाराणा सांगा के कुंवर भोजराज से उनका विवाह हुआ । उनका जीवन दुखों की छाया में हीं बीता ।
बाल्यावस्था में ही उनकी मां का देहांत हो गया था । विवाह के कुछ साल बाद, पहले पति फिर पिता और एक युद्ध के दौरान ससुर का भी देहांत हो गया । भौतिक जीवन से निराश मीरा ने घर परिवार त्याग दिया और वृंदावन में डेरा डाल पूरी तरह गिरधर गोपाल श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित हो गई ।
Explanation: मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की आध्यात्मिक प्रेरणा ने जिन कवियों को जन्म दिया उनमें मीराबाई का विशिष्ट स्थान है । इनके पद पूरे उत्तर भारत सहित गुजरात बिहार और बंगाल में प्रचलित है ।
• यह संत रैदास की शिष्या थी । इनकी केवल सात या आठ कृतियां ही उपलब्ध है | इनमें मुख्य चार ग्रंथ है
• नरसीजी का मायरा
• गीत गोविंद टीका
• राग गोविंद
• राग सोरठ के पद
• इसके अलावा संत मीराबाई के गीतों का संकलन "मीरांबाई की पदावली, संकलन परशुराम चतुर्वेदी |
मीरा के पदों की भाषा में राजस्थानी और गुजराती का मिश्रण पाया जाता है वही पंजाबी खड़ी बोली और पूर्वी के प्रयोग भी मिल जाते हैं । इनकी रचनाओं में इनके आराध्य कहीं निर्गुण निराकार ब्रह्म कहीं सगुण साकार गोपी वल्लभ श्रीकृष्ण और कहीं निर्मोही परदेसी जोगी के रूप में संकल्पित किए गए हैं ।