मीराबाई ने जाति व्यवस्था के प्रतिमानो का किस प्रकार विरोध किया ? परख कीजीय
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Mirabai Ne jaati vyavastha ke Prati Manav Ka virodh apni Mahila Sangathan ko Banakar Kiya jis mein Mahila bahut Adhik sankhya Mein Shamil hui thi
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मीराबाई ने जाति व्यवस्था के प्रतिमानों का अपने स्तर पर पूरा विरोध किया। वह अपने भजनों के माध्यम से ही समानता का भाव प्रकट करती थीं। राजपूत घराने के ताल्लुक रखने के बावजूद मीरा बाई ने जी ने जिन्हें अपना गुरु बनाया, वह संत रविदास यानि रैदास निचली जाति से संबंध रखते थे। इस तरह उन्होंने जाति व्यवस्था को नहीं माना और तथाकथित निचली जाति के व्यक्ति को अपना गुरु बनाया। वह अपने भजनों के प्रचार प्रसार में लोगों के संपर्क में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करती थी और हर तरह के लोगों से मिलती थीं। राजपूत कुल की कन्या होने के बावजूद उनका हर जाति के लोगों के साथ मिलना-जुलना उस उनके कुल और समाज में बहुत से लोगों को अच्छा नही लगता और इस कारण उन पर अनेक तरह की रोक लगाने की कोशिशें की गयीं, लेकिन मीराबाई अडिग रहीं। इस तरह उन्होंने जाति व्यवस्था के प्रतिमानों के विरुद्ध अपना विरोध स्थापित किया।
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