मीराबाई और कबीर के भक्ति भाव में क्या अंतर है उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए
Answers
कबीर की शिक्षाएँ:
→ कबीर का मानना था कि ईश्वर एक और निराकार (निर्गुण) है, भले ही विभिन्न धार्मिक समूह उन्हें अलग-अलग नाम और रूप देते हैं। सूफी की तरह, उन्होंने उपदेश दिया कि ईश्वर को कई तरीकों से पहुँचा जा सकता है।
→ कबीर ने धर्म, जाति और धन के आधार पर भेदभाव की निंदा की। उन्होंने अर्थहीन अनुष्ठानों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने विभिन्न प्रकार की कविताओं के माध्यम से सरल संदेश दिए, जिनमें दोहा, विष्णुपद और सखली शामिल हैं, जो आज भी बहुत लोकप्रिय हैं।
→कबीर के छंदों की रचना भोजपुरी भाषा में नई विकसित भाषा उर्दू के साथ मिलाकर की गई थी। कबीर ग्रन्थावली और बीजक में भी कबीर के छंदों का संग्रह है।
⇒मीराबाई की शिक्षाएँ:
→ मेवाड़ के युवराज की पत्नी मीराबाई, भगवान कृष्ण की प्रबल भक्त थीं। वह रविदासकी शिष्या थीं, एक संत जो अछूत मानी जाने वाली जाति से संबंधित थे।
→ उनकी शिक्षाएं उनके गीतों में अंतर्निहित थीं जिसमें उन्होंने "उच्च" जातियों के मानदंडों को खुले तौर पर चुनौती दी और राजस्थान और गुजरात में जनता के बीच लोकप्रिय हो गईं।
→उसने दुनिया को भगवान से प्यार करने का तरीका सिखाया। उसने पारिवारिक परेशानियों और कठिनाइयों के तूफानी समुद्र में अपनी नाव को कुशलता से चलाया और परम शांति के तट पर पहुँच गई - प्रेम का राज्य। उनके गीत विश्वास, साहस, भक्ति और ईश्वर के प्रति प्रेम का संचार करते हैं।
#SPJ2
Learn more about this topic on:
https://brainly.in/question/34626732