मेरे बचपन के दिन में लेखिका ने अपने बचपन के दिनों को उकेरा है। लेखिका ने कई घटनाओं के माध्यम से हमें उस समय से अवगत कराया जो हम नहीं देख पाए। उन्होंने अपने जन्म के पीछे जिस घटना का उल्लेख किया है, वह सच में शोचनीय है की उनके घर में कई पीढ़ियों से कन्याओं को जन्म लेने ही नहीं दिया जाता था। यदि वह ले भी लेती थी तो वह मार दी जाती थी। लेखिका ने विद्यालय का वर्णन कर भारतीय बालाओं के सपने उनके कार्यों की जानकारी दी है। यहाँ पर उन्होंने सुभद्रा कुमारी का भी परिचय दिया है। सुभद्रा कुमारी जानी-मानी कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान है।उस समय देश की हलचल का चित्रण भी इसमें देखने को मिलता है। जब गांधी जी द्वारा आंदोलन चलाए जा रहे थे।लेखिका ने इसे अपने उन दिनों की अपनी यादों के आधार पर लिखा है। उन्होंने अपने इस संस्मरण में उस समय की लड़कियों के प्रति लोगों का व्यवहार उनकी दशा, छात्रावास के समय वहां का जीवन और आजादी की लड़ाई में जनता के योगदान का बड़ा सजीव चित्रण देखने को मिलता है। this is the summary of मेरे बचपन के दिन
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ता-नेहिसी कोट्स 'वर्ल्ड एंड मी के बीच 152 पृष्ठों पर ट्रिम करता है लेकिन एक बड़े काम की तरह जमीन, एक पुस्तक जिसे अपने लेखक या किसी के बाद लंबे समय तक स्टोर शेल्फ़, बेडसाइड टेबल और हाई स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम पर रहने के लिए नियत है इस पृथ्वी को छोड़ दिया है हाल के वर्षों में, कोटे ने अपनी पीढ़ी के प्रमुख अमेरिकी निबंधकारों में से एक के रूप में अपना दावे बना लिया है, एटलांटिक के लिए एक पुरस्कार-विजेता संवाददाता जिसका 2014 कवर कहानी "द केस फॉर रेपेरेशन" हाल ही में स्मृति में सबसे बड़ी चर्चा हुई है। ।
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