मेरे बचपन की यादें पर निबन्ध | Write an essay on Reminiscences of My Childhood in Hindi
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बचपन के दिन किसी भी व्यक्ति के जीवन के बड़े महत्वपूर्ण दिन होते हैं । बचपन में सभी व्यक्ति चिंतामुक्त जीवन जीते हैं । खेलने उछलने-कूदने, खाने-पीने में बड़ा आनंद आता है ।
माता-पिता, दादा-दादी तथा अन्य बड़े लोगों का प्यार और दुलार बड़ा अच्छा लगता हैं । हमउम्र बच्चों के साथ खेलना-कूदना परिवार के लोगों के साथ घूमना-फिरना बस ये ही प्रमुख काम होते हैं । सचमुच बचपन के दिन बड़े प्यारे और मनोरंजक होते हैं ।
मुझे अपने बाल्यकाल की बहुत-सी बातें याद हैं । इनमें से कुछ यादें प्रिय तो कुछ अप्रिय हैं । मेरे बचपन का अधिकतर समय गाँव में बीता है । गाँव की पाठशाला में बस एक ही शिक्षक थे । वे पाठ याद न होने पर बच्चों को कई तरह से दंड देते थे ।
मुझे भी उन्होंने एक दिन कक्षा में आधे घंटे तक एक पाँव पर खड़ा रहने का दंड दिया था । इस समय मुझे रोना आ रहा था जबकि मेरे कई साथी मुझे देखकर बार-बार हँस रहे थे । मैं बचपन में कई तरह की शरारतें किया करता था ।
छुट्टी के दिनों में दिन भर गुल्ली-डंडा खेलना, दोस्तों के साथ धमा-चौकड़ी मचाना, फिाई का ढेला, ईंट आदि फेंककर कच्चे आम तोड़ना, काँटेदार बेर के पेड़ पर चढ़ना आदि मेरे प्रिय कार्य थे । इन कार्यो में कभी-कभी चोट या खरोंच लग जाती थी । घर में पिताजी की डाँट पड़ती थी मगर कोई फिक्र नहीं 9 अगले दिन ये कार्य फिर शुरू ।
किसी दिन खेत में जाकर चने के कच्चे झाडू उखाड़ लेता था तो किसान की त्योरी चढ़ जाती थी वह फटकार कर दौड़ाने लगता था । भाग कर हम बच्चे अपने-अपने घर में छिप जाते थे । कभी किसी के गन्ने तोड़ लेना तो कभी खेतों से मटर के पौधे उखाड़ लेना न जाने इन कार्यों में क्यों बड़ा मजा आता था । एक बार मैं अपने मित्र के साथ गाँव के तालाब में नहाने गया ।
उस समय वहाँ और कोई नहीं था । मुझे तैरना नहीं आता था । परंतु नहाते-नहाते अचानक मैं तालाब में थोड़ा नीचे चला गया । पानी मेरे सिर के ऊपर तक आ गया । मैं घबरा गया । साँस लेने की चेष्टा में कई घूँट पानी पी गया ।
“मेरे बचपन की यादें”
कोई भी इंसान अपनी जिंदगी के किसी भी मिकाम पर क्यों न पहुँच जाए, लेकिन जब वो अकेला होता है तो उसे अपने बचपन के कुछ पल याद आ हि जाते हैं I आज कि इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अगर कुछ है तो वो हैं यादें I मुझे मेरा बीता हुआ बचपन आज भी याद है I
मेरा बचपन महाराष्ट्र के एक गाँव में बीता है I कितने शानदार होते थे वो दिन न किसी चिंता न किसी कि परवाह I पाठशाला की छुट्टी के अपनी उम्र के दोस्तों के साथ गाँव के मैदान में वो कबड्डी का खेलना, गाँव कि मिट्टी बात ही अलग थी जब तक उस में न खेले तब तक खाना ही नहीं पचता था I
गाँव के साथ हि एक तालाब था I हर रविवार हम सभी दोस्त वहां नहाने जाते थे, तालाब में बड़ी देर नहाते जब ठंड लगती बाहर निकलकर पत्थर पर धूप सेंकते I
मैं बचपन बड़ी शरारते करता था I एक बार मैं और मेरा भाई ही घर पर थे I हम आपस में एक दुसरे पर पानी फेंककर खेल रहे थे, जिस कारण विस्तर इत्यादि घर का सारा सामान गीला हो गया था, माँ के द्वारा की गई पिटाई मुझे आज भी याद है I जब मैं रोने लगा उसके बाद समझाकर माँ का प्यार करना बहुत याद आता है I
मेरी शुरू से प्रवृति प्रश्न पूछने की रही है, मेरे हर प्रश्नों के जबाब पिता जी बड़े धैर्य और गहरी जानकारी के साथ देते थे I स्कूल का वो पहला दिन मुझे आज भी याद है जब मेरा दाखिला करने के लिए मेरे पिता जी मेरे साथ स्कूल गए थे I
मैं अपने बचपन की बहुमूल्य यादें हमेशा सहेजकर रखूँगा I