Hindi, asked by helpmemath, 9 months ago

मेरा बचपन STORY by प्रेमचंद

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Answered by Anonymous
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मेरा बचपन

 

शब्दों के ख़ामोश दायरे में सिमटकर

वक़्त पीछे रह जाता है

हां मुझे अपना बचपन बहुत याद आता है

आकांक्षा, जिज्ञासा और उत्तरदायित्व के

भंवर जाल से मुक्त, आवारा बादल की भूमिका लिए

विचरण करता बचपन, एक सुखद अहसास से

भिगो जाता है

कितना याद आता है बचपन

महसूस ये होता है जैसे अपना खो गया हो कोई

भरी भीड़ से छिटककर, छायी रहती है एक स्मृति

दिलो-दिमाग पर

ऐसे कल ही घटी

कोई घटना हो जैसे ।।

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