‘मेरा डंडा अनेक सााँपों केललए नारार्र् वाहन हो चुका था ।’ -आशर् स्पष्ट्ट कीजिए।
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Bhai aapka question smaj me nhi aa rhi hai
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मेरा डंडा अनेक साँपों के लिए नारायण-वाहन हो चुका था। मक्खनपुर के स्कूल और गांव के बीच पड़ने वाले आम के पेड़ों से प्रतिवर्ष उससे आम झूरे जाते थे। इस कारण वह मूक डंडा सजीव-सा प्रतीत होता था। प्रसन्नवदन हम दोनों मक्खनपुर की ओर तेजी से बढ़ने लगे।
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