मेरे जीवन का लक्ष्य निबध
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“मेरे जीवन का लक्ष्य” पर निबंध नंबर – My Aim In Life Essay
जाहिर है कि इस दुनिया में हर व्यक्ति की सोच और उसका लक्ष्य अलग होता है। कोई एक आदर्श शिक्षक बनकर शिक्षित समाज का निर्माण कर देश का कल्याण करना चाहता है, तो कोई इंजीनियर बनकर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करना चाहता है, तो कोई समाजसेवी बनकर समाज में फैली कुरोतियों को दूर करना चाहता है और जरूरतमंदों और असहायों की मद्द करना चाहता है।
सभी अपने सामर्थ्य और क्षमता के मुताबिक ही अपने-अपने लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं, वैसे ही मैं जब भी किसी रोगी को दर्द से कराहता देखता हूं, या फिर जब किसी अस्वस्थ व्यक्ति की पीड़ा समझने की कोशिश करता हूं, तो अक्सर मेरे दिल और दिमाग में यही ख्याल आता है कि काश मै डॉक्टर होता तो इसकी मद्द कर पाता।
इसलिए मैने यह संकल्प लिया है कि मै डॉक्टर बनने के लिए पूरा प्रयास करूंगा और अपनी क्षमता शक्ति से अधिक मेहनत करूंगा ताकि मै एक सफल डॉक्टर बन सकूं।
आपको बता दूं कि मेरा अन्य लोगों की तरह डॉक्टर बनकर सिर्फ नोट छापने का कोई उद्देश्य नहीं है, बल्कि मैं डॉक्टर बनकर गंभीर रोगों से लड़ रहे गरीब और असहाय लोगों के काम आना चाहता हूं और एक स्वस्थ भारत के निर्माण में अपना सहयोग देना चाहता हूं।
वहीं कई लोग पैसे के अभाव में और कुछ मजबूरियों के चलते डॉक्टर की डिग्री हासिल नहीं कर सकते, लेकिन मैं अक्सर यही सोचता हूं कि अगर मै डॉक्टर बनने का निश्चय किया है तो किसी भी हालत में अपने लक्ष्य को पाकर ही रहूंगा और रोगों से लड़ रहे लोगों के जीवन को सुरक्षित बनाऊंगा, इसके साथ ही पीडि़त लोगों को उनके रोगों को दूर भगाने के लिए सही सलाह दूंगा। साथ ही उन्हें यह भी बताऊंगा कि वे कैसे स्वस्थ जीवन जीएं।
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Explanation:
Aim of Life in Hindi!
मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक स्वाभाविक गुण है । प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ विशेष प्राप्त करना चाहता है । कुछ बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं तो कुछ व्यापार में अपना नाम कमाना चाहते हैं ।
इसी प्रकार कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं तो कुछ भक्ति के मार्ग पर चलकर ईश्वर को पाने की चेष्टा करते है । सभी व्यक्तियों की इच्छाएँ अलग-अलग होती हैं परंतु इनमें से बहुत कम लोग ही अपनी इच्छा को साकार रूप में देख पाते हैं । थोड़े से भाग्यशाली अपनी इच्छा को मूर्त रूप दे पाते हैं । ऐसे व्यक्तियों में सामान्यता दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है और वे एक निश्चित लक्ष्य की ओर सदैव अग्रसर रहते हैं ।
मनुष्य के जीवन में एक निश्चित लक्ष्य का होना अनिवार्य है । लक्ष्यविहीन मनुष्य क्रिकेट के खेल में उस गेंदबाज की तरह होता है जो गेंद तो फेंकता है परंतु सामने विकेट नहीं होते । इसी भाँति हम परिकल्पना कर सकते हैं कि फुटबाल के खेल में जहाँ खिलाड़ी खेल रहे हों और वहाँ से गोल पोस्ट हटा दिया जाए तो ऐसी स्थिति में खिलाड़ी किस स्थिति में होंगे इस बात का अनुमान स्वत: ही लगाया जा सकता है । अत: जीवन में एक निश्चित लक्ष्य एवं निश्चित दिशा का होना अति आवश्यक है ।
मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर चिकित्सक बनूँ और अपने चिकित्सा ज्ञान से उन सभी लोगों को लाभान्वित करूँ जो धन के अभाव में उचित चिकित्सा प्राप्त नहीं कर पाते हैं । मैं इस बात को अच्छी तरह समझता हूँ कि एक अच्छा चिकित्सक बनना आसान नहीं है ।
अच्छे विद्यालय का चयन, उसमें प्रवेश पाना तथा पढ़ाई में होने वाला खर्च आदि अनेक रुकावटें हैं । परंतु मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इन बाधाओं को पार कर सकूँगा । इसके लिए मैंने बहुत कड़ी मेहनत का संकल्प लिया है । उचित मार्गदर्शन के लिए मैं अपने अध्यापक व अनुभवी छात्रों का सहयोग ले रहा हूँ ।
चिकित्सक बनने के बाद मैं भारत के उन गाँवों में जाना चाहता हूँ जहाँ पर अच्छे चिकित्सक का अभाव है अथवा जहाँ पर चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था नहीं है । में उन सभी लोगों का इलाज नि:शुल्क करना चाहता हूँ जो धन के अभाव में अपना इलाज नहीं करा पाते हैं । इसके अतिरिक्त मैं उनमें अच्छे स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता लाना चाहता हूँ ।
वे किस प्रकार जीवन-यापन करें, सफाई, स्वास्थ्य एवं संतुलित भोजन के महत्व को समझें, इसके लिए मैं व्यापक रूप से अपना योगदान देना चाहता हूँ । आजकल कुछ परंपरागत रोगों का इलाज तो आसानी से संभव है लेकिन उचित जानकारी का अभाव, रोग तीव्र होने पर ही इलाज के लिए तत्पर होना जैसी समस्याएँ अशिक्षितों एवं ग्रामीणों की प्रमुख समस्याएँ हैं ।
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