Hindi, asked by sumitranandanpatna, 8 days ago

मेरे जीवन का लक्ष्य शीर्षक निबंध में आप 10 वर्ष बाद अपने आप को किस रूप में देखेंगे वह लिखो आंसर दो जल्दी​

Answers

Answered by jagdishsingh11974
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Explanation:

मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध –

मनुष्य का महत्वकांक्षी होना एक स्वभाविक गुण होता है। हर व्यक्ति जीवन में कुछ विशेष प्राप्त करने की इच्छा रखता है। मनुष्य अनेक प्रकार की कल्पनाएँ करता है। वह खुद को ऊपर उठाने के लिए योजनाएँ बनाता है। कल्पना तो सबके पास होती हैं लेकिन कल्पना को साकार करने की शक्ति केवल किसी-किसी के पास ही होती है। सपनों में तो सभी घूमते हैं।

सभी लोग महत्वकांक्षाओं के मोती प्राप्त करना चाहते हैं। मनुष्य कभी भी बिना उद्देश्य के कोई काम नहीं करता है मनुष्य का हर कार्य सोद्देश्य पूर्ण होता है। एक मनुष्य भी बिना उद्देश्य के कोई काम नहीं करता है। कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को सामने रखकर ही कार्य करता है। हमारा जीवन एक यात्रा की तरह होता है।

अगर यात्री को पता होता है कि उसे कहाँ पर जाना है तो वह अपने लक्ष्य की तरफ बढना शुरू कर देता है लेकिन जब यात्री को अपने लक्ष्य का ही पता नहीं होता है तो उसकी यात्रा निरर्थक हो जाती है। उसी तरह यदि एक विद्यार्थी को पता होता है कि उसे क्या बनना है तो वह उसी दिशा में प्रयत्न करना शुरू कर देता है और अपने लक्ष्य में सफल भी हो जाता है। जब एक विद्यार्थी का कोई उद्देश्य ही नहीं होता है तो उसका जीवन उसको कहीं पर भी नहीं ले जाता है।

उपसंहार :

मेरी यह इच्छा है कि मैं अपने लक्ष्य को पूरा करूं। मैं इस काम को पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ समाज-सेवा संस्थाओं का भी सहयोग लूँगा। मैं कोशिश करूंगा कि गाँव में स्थित मेरा नर्सिंग होम गाँव के लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकें

उद्देश्य पूर्ति के लिए प्रयत्न :

मैं यह बात अच्छी तरह से जानता हूँ कि एक सफल डॉक्टर बनना आसान नहीं है इसके लिए बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है। डॉक्टर के ह्रदय में मरीजों के प्रति दया, करुणा, और सहानुभूति की भावना होना बहुत ही जरूरी होता है। मैंने अपने इस उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए अभी से प्रयास करने शुरू कर दिए हैं।

ग्रामीणों के उपचार की आवश्यकता :

मैं दूसरे लोगों की तरह नगर में क्लीनिक न खोलकर नगर से दूर गाँव में एक छोटा सा अस्पताल स्थापित करूं जिससे गाँव के लोगों को रोगों से बचने और रोग से मुक्त होने की सुविधा मिल सके। मैं रोगियों से पैसे लूटने की जगह उनसे केवल उतने ही पैसे लूँगा जिससे अस्पताल सुचारू रूप से चल सके।

शिक्षकों एवं डॉक्टर का महत्व :

प्राचीनकाल के धार्मिक ग्रंथ भी घोषणा करते हैं कि दो वर्ग के मनुष्यों का समाज पर बहुत ज्यादा उपकार है। पहला वर्ग शिक्षकों का है जो लोगों के अंदर से अज्ञान को निकालकर ज्ञान का दीपक जलाकर उनके जीवन को सार्थक कर देते हैं।

बाल्यावस्था की समस्या :

जब बच्चा छोटा होता है तो वह विद्यालय में प्रवेश करता है। उस समय में बच्चों के सामने अनेक लक्ष्य होते हैं। वह जैसे-जैसे लोगों के संपर्क में आता है वैसे-वैसे उस पर प्रभाव पड़ता है। कभी तो वह सोचने लगता है कि वह डॉक्टर बनेगा और कभी वह सोचने लगता है कि वह अध्यापक बनेगा और कभी इंजीनियर बनेगा।

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