मेरे जीवन का लक्ष्य ' शीर्षक पर अपने विचार 50 से 60 शब्दों में लिखिए |
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मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक स्वाभाविक गुण है । प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ विशेष प्राप्त करना चाहता है । कुछ बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं तो कुछ व्यापार में अपना नाम कमाना चाहते हैं ।
इसी प्रकार कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं तो कुछ भक्ति के मार्ग पर चलकर ईश्वर को पाने की चेष्टा करते है । सभी व्यक्तियों की इच्छाएँ अलग-अलग होती हैं परंतु इनमें से बहुत कम लोग ही अपनी इच्छा को साकार रूप में देख पाते हैं । थोड़े से भाग्यशाली अपनी इच्छा को मूर्त रूप दे पाते हैं । ऐसे व्यक्तियों में सामान्यता दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है और वे एक निश्चित लक्ष्य की ओर सदैव अग्रसर रहते हैं ।
मनुष्य के जीवन में एक निश्चित लक्ष्य का होना अनिवार्य है । लक्ष्यविहीन मनुष्य क्रिकेट के खेल में उस गेंदबाज की तरह होता है जो गेंद तो फेंकता है परंतु सामने विकेट नहीं होते । इसी भाँति हम परिकल्पना कर सकते हैं कि फुटबाल के खेल में जहाँ खिलाड़ी खेल रहे हों और वहाँ से गोल पोस्ट हटा दिया जाए तो ऐसी स्थिति में खिलाड़ी किस स्थिति में होंगे इस बात का अनुमान स्वत: ही लगाया जा सकता है । अत: जीवन में एक निश्चित लक्ष्य एवं निश्चित दिशा का होना अति आवश्यक है ।
मेरे जीवन का लक्ष्य ' शीर्षक पर अपने विचार निम्न प्रकार से लिखे गए हैं।
- मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं एक कुशल डॉक्टर बनूं तथा लोगो की सेवा करूं।
- मेरी बचपन से ही डॉक्टर बनने की इच्छा है। मै जब भी किसी गरीब व्यक्ति को बीमार देखती हूं तुझे बहुत दुख होता है क्योंकि उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं होते।
- आज भी कई गांवों में लोग चिकित्सा के लिए भटकते है, शहरों में जाकर इलाज करवाना महंगा भी तथा उन्हें वहां तक जाने की सुविधा भी नहीं होती।
- मेरी इच्छा है कि मै डॉक्टर बनकर गांव में जाकर प्रैक्टिस करू तथा वहां पर बड़ा अस्पताल खोलू जहां गांव वालो के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हो।
- उस अस्पताल में शल्य चिकित्सा की भी सुविधा होगी, वहां कम पैसों में लोगों का इलाज होगा व अति गरीब लोगों का इलाज मुफ्त में होगा।
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