मेरे जीवन का उद्देश्य निबंध
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भूमिका- मनुष्य अनेक कल्पनाएं करता है । वह अपने को ऊपर उठाने के लिए योजनाएं बनाता है । कल्पना सबके पास होती है लेकिन उस कल्पना को साकार करने की शक्ति किसी-किसी के पास होती है । सपनों में सब घूमते हैं । सभी अपने सामने कोई-न कोई लक्ष्य रख कर चलते हैं । सभी महत्वाकांक्षा का मोती प्राप्त करना चाहते हैं ।
विभिन्न लक्ष्य- विभिन्न व्यक्तियों के विभिन्न लक्ष्य होते हैं । कोई डॉक्टर बनकर रोगियों की सेवा करना चाहता है तो कोई इंजीनियर बनकर निर्माण करना चाहता है । कोई कर्मचारी बनना चाहता है तो कोई व्यापारी । कोई नेता बनना चाहता है तो कोई अभिनेता । मेरे मन में भी एक कल्पना है । मैं अध्यापक बनना चाहता हूँ । भले ही कुछ लोग इसे साधारण उद्देश्य समझें पर मेरे लिए यह गौरव की बात है । देश सेवा और समाज सेवा का सबसे बड़ा सा धन यही है ।
मेरे लक्ष्य का महत्व- मैं व्यक्ति की अपेक्षा समाज और
समाज की अपेक्षा राष्ट्र को अधिक महत्व देता हूं । स्वार्थ की अपेक्षा परमार्थ को महत्व देता हूँ । मैं मानता हूँ कि जो ईंट नींव बनती है,महल उसी पर खड़ा होता है । मैं धन, कीर्ति और यश का भूखा नहीं । मेरे सामने तो राष्ट्र-कवि श्री मैथिली शरण गुप्त का यह सिद्धान्त रहता है ‘समष्टि के लिए व्यष्टि हों बलिदान’ । विद्यार्थी देश की नींव है । मैं उस नींव को मजबूत बनाना चाहता हूँ ।
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