मेरा जीवन लक्ष्य पर निबंध लिखें,80-100 word.इसके बिंदु है लक्ष्य निर्धारण की आवश्यकता , अपना लक्ष्य और पूर्ति के लिए प्रयास
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This is the ans
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बाल्यावस्था की समस्या : जब बच्चा छोटा होता है तो वह विद्यालय में प्रवेश करता है। उस समय में बच्चों के सामने अनेक लक्ष्य होते हैं। वह जैसे-जैसे लोगों के संपर्क में आता है वैसे-वैसे उस पर प्रभाव पड़ता है। कभी तो वह सोचने लगता है कि वह डॉक्टर बनेगा और कभी वह सोचने लगता है कि वह अध्यापक बनेगा और कभी इंजीनियर बनेगा।
अलग-अलग लोगों के लक्ष्य भी अलग-अलग होते हैं। कभी वह डॉक्टर बनकर रोगियों की सेवा करना चाहता है, कभी इंजीनियर बनकर इमारतें बनाना चाहता है, कभी नेता बनकर देश की सेवा करना चाहता है, कभी सैनिक बनकर देश की रक्षा करना चाहता है।
माँ-बाप भी यह कल्पना करते हैं कि वे अपने बच्चे को यह बनायेंगे, वह बनायेंगे लेकिन वास्तव में निर्णय तो बच्चों को खुद ही लेना पड़ता है। माँ-बाप को बच्चों पर अपनी मर्जी नहीं थोपनी चाहिए। विद्यार्थीकाल मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह मानव जीवन की आधारशिला के बराबर होता है।
यदि विद्यार्थी इस काल में अपने जीवन के लक्ष्य को निर्धारित कर लेते हैं तो वे जीवन को सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण बना लेता है और अपने देश और समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है। सभी लोगों की इच्छाएं अलग-अलग होती हैं लेकिन कुछ ही लोगों की इच्छाएं साकार हो पाती हैं।
डॉक्टर बनने का उद्देश्य : मैं अक्सर अपने दोस्तों को बात करते हुए सुनता हूँ की वे क्या बनना चाहते हैं लेकिन मैंने तो पहले से ही अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। मेरा जीवन में एक ही लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा। मैं डॉक्टर बनकर देश और समाज की रोगों से रक्षा करूंगा।
कुछ विद्यार्थी डॉक्टर इसलिए बनना चाहते हैं जिससे वे अधिक-से-अधिक धन कमा सकें लेकिन मेरा उद्देश्य यह नहीं है। मैं डॉक्टर बनकर गरीबों और पीड़ितों की सेवा करना चाहता हूँ। कुछ लोग अपने उद्देश्य को पाकर भी गलत रास्ते पर चल देते हैं वे अपने कर्तव्य को अच्छी तरह नहीं निभाते हैं।
मैं अपने लक्ष्य पर पहुंचने के बाद अपने कर्तव्य से नहीं भटकूँगा। मैं ऐसा चिकित्सा ज्ञान प्राप्त करना चाहता जिसे लोग पैसा के अभाव की वजह से प्राप्त नहीं कर पाते हैं। मैं डॉक्टर इसलिए बनना चाहता हूँ जिससे मैं गरीब लोगों की रोगों से रक्षा कर सकूं।