मीरां की भक्ति किस प्रकार की मानी जाती है?
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1= मीरा ने श्री कृष्ण के सगुण स्वरूप की भक्ति आराधना की थी। मीरा की इस भक्ति को मधुरा भक्ति भी कहा जाता है। इस भक्ति का प्रधान भाव रति है। मीरा संत समाज को देखकर जितनी खुश होती थी ठीक उसी तरह वह संसार को देखकर दुखी होती थी।
2=
मीराँबाई श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थीं, किंतु वे कृष्ण भक्ति के विभिन्न संप्रदायों में से किसी में भी विधिवत दीक्षित नहीं थीं। उनकी भक्ति 'माधुर्य भाव' की भक्ति कही जाती है। माधुर्य भाव की भक्ति के अंतर्गत भक्त और भगवान में प्रेम का संबंध होता है।
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