Hindi, asked by bbk702489, 1 month ago

मीरा के काव्य में विरह की अनुभूति अपनी चरम सीमा पर है- स्पष्ट
कीजिए।​

Answers

Answered by simran070907
7

Explanation:

अपने प्रभु से मिलने के वह आतुर है। इसके लिए वह उनकी सेविका भी बनने से नहीं हिचकिचाती। वहाँ सेविका बनकर यह उनके विरह की चरम सीमा है, जहाँ एक भक्त को दास स्वरूप भी भाता है।

Answered by naman8768
1

मीरा अपने आराध्य कृष्ण से मिलना चाहती है। अपने प्रभु से मिलने के लिए वह आतुर है। इसके लिए वह उनकी सेविका भी बनने से नहीं हिचकिचाती। वहाँ सेविका बनकर वह हर कार्य करना चाहती, जिससे अपने आराध्य के दर्शन पा सके। यह उनके विरह की चरम सीमा है, जहाँ एक भक्त को दास स्वरूप भी भाता है।

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