मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै।।
meaning in hindi
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मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै। इस कविता में मीरा ने सुबह का वर्णन किया है जब यशोदा मैया कृष्ण को जगाने की कोशिश कर रही हैं। ... मीरा कहती हैं कि भगवान कृष्ण अपने शरण में आने वाले हर किसी पर उपकार करते हैं।
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मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सरण आयाँ को तारै।। पंक्तियों का अर्थ निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है।
- संदर्भ : दी गई पंक्तियां " भोर और बरखा " कविता से ली गई है।
- प्रसंग : यह प्रसंग भोर अर्थात सुबह के समय का है। मां यशोदा श्री कृष्ण को जगाने का प्रयत्न कर रही है। वे कहती है कि कान्हा उठो, भोर हो गई है।
- व्याख्या : मीराबाई कृष्ण की दीवानी थी। वे कृष्ण की परम भक्त थी। वे दिन रात श्री कृष्ण की आराधना करती रहती थी। वे श्री कृष्ण को गिरधर नागर कहती है , गिरधर इसलिए क्योंकि श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली से उठाया था। गिरधर का अर्थ है गिरी को धारण करने वाला।
- मीराबाई कहती है कि जो भी श्री कृष्ण की शरण में आया उसे प्रभु ने तार दिया।
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