Hindi, asked by babupatel7070, 2 months ago

मीरा को प्रभू से मिलने की तिवर यह है

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Answered by PktheRock001
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Answer:

पायो जी मैंने नाम रतन धन पायो।

बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।

जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।

खरचै नहिं कोई चोर न लेवै, दिन-दिन बढ़त सवायो।

सत की नाव खेवहिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।

मीरा के प्रभु गिरधर नागर, हरख-हरख जस पायो।।

Explanation:

मीरा ने अनेक पदों व गीतों की रचना की। उनके पदों में उच्च आध्यात्मिक अनुभव हैं। उनमें दिए गए संदेश और अन्य संतों की शिक्षाओं में समानता नजर आती है। उनके पद उनकी आध्यात्मिक उंचाई के अनुभवों का आईना है। मीरा ने अन्य संतों की तरह कई भाषाओं का प्रयोग किया है, जैसे - हिंदी, गुजराती, ब्रज, अवधी, भोजपुरी, अरबी, फारसी, मारवाड़ी, संस्कृत, मैथिली और पंजाबी।

मीरा के पदों में भावनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति के साथ-साथ प्रेम की ओजस्वी प्रवाह-धारा और प्रीतम से वियोग की पीड़ा का मर्मभेदी वर्णन मिलता है। प्रेम की साक्षात् मूर्ति मीरा के बराबर शायद ही कोई कवि हो।

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