मेरी कलम से दूरदर्शन पर देखे किसी कार्टून कथांश' का वर्णन अपने शब्दों में लिखो। ५४ M
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अभी लिखना बहुत बाकी है,
छोड़ दूं इस रास्ते को मैं
इससे बड़ी और क्या चालाकी है।।
हो मां सरस्वती तेरी अनुकंपा,
मुझे तेरा ही वरदान चाहिए,
लिखूं अपनी कलम से सब
ना कोई रतनों वाला सम्मान चाहिए।।
जग खुशी से वाह वाह करें,
कुछ ऐसी दास्तान लिख दूं ,
जो करते हैं खंडित वतन को
उन्हें राष्ट्रीयता की सीख दूं।।
सरहद पर संगीत सुना दूं
दुश्मनी को त्याग सुनाऊं प्रीत,
वीणा दायिनी कृपया कर
लिखा दे कलम से ऐसे गीत।।
चांद तारों को हमेशा,
सजाऊँ फूलों की तरह,
वह लिखकर काम भी कर दूं
जो हो शुलो की तरह।।
करूं कलम से अपने वतन की
सभ्यता संस्कृति का इतना प्रचार,
जगत में हो चाहे शत्रु मेरा
पर करें मेरे वतन से प्यार।।
लिख दूं वही इतिहास फिर
जो स्वर्णिम होकर स्वर्णिम न कहलाया,
स्वपन है, है लेखनी तेरे शब्दों
से यह ध्वज जगत में फहराया।।
वहीं दिनकर, निराला
वही कालिदास वही लिखूं तुलसीदास,
जो सनातन जमीन में भस्म हैं,
अपनी कलम से कराऊँ जगत को एहसास।।
लिखूं कोटि-कोटि बलिदानों के
सरहद पर बहा हुआ रक्त ,
मेरी लेखनी से फूल माला पहनाऊँ
और करू माठी पर बहे लाल रंग को व्यक्त।।
जो वतन की घाटी आतताही से
उसमें स्नेह समर का नाद करवाऊँ,
गले मिलने की आशा को पूरा करूँ
चारों और उन्माद ही उन्माद करवाऊँ।।
लिख मेरी कलम गंग की धार को
इसका वतन को अभिमान हो।
लिख मेरी कलम गरीब के ज्वार को
करे आर्यव्रत का बेटा - बेटा दान हो।।
वंदना है कलम तेरी
हर रोज एक नई शुरुआत से।
कलम तू आबाद रह
मांगता हूं मां सरस्वती की मुलाका
Explanation:
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