मूर्ख मित्र से बुद्धिमान शत्रु अच्छा Story
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मूर्ख मित्र से बुद्धिमान शत्रु अच्छा
कभी-कभी मूर्ख मित्र का साथ मुसीबत का कारण कम जाता है जबकि बुद्धिमान शत्रु मुसीबत के समय भी काम आता है।
किसी गाँव में तीन व्यापारी मित्र रहते थे। एक बार वे व्यापार करने के लिए निकल पड़े। अपना-अपना धन एक मित्र को सौंप दिया। वह मित्र मूर्ख था। कुछ समय बाद उनकी यात्रा समुद्री जहाज से शुरू हुई। कुछ दूरी पर जा कर उस जहाज में और साथी भी सवार हो गए। इनमें से एक धनी व्यापारी भी सवार हुआ। वह व्यापारी इन तीन मित्रों का शत्रु था। जब जहाज आगे की ओर बढ़ा तो कुछ दूरी पर जाकर समुद्री डाकुओं ने जहाज पर आक्रमण कर दिया और यात्रियों को लूटना शुरू कर दिया। उन्होंने तो सभी यात्रियों से अपना-अपना धन उन्हें दे देने के लिए कहा नहीं तो वे जान से मारने की धमकी भी देने लगे। उस मूर्ख मित्र ने जिसके पास तीनें का धन था- धन देने से स्पष्ट इन्कार कर दिया। इससे उन मित्रों की जान संकट में पड़ गई। उनके शत्रु ने सोचा यदि मैं इस संकट से अपना धन डाकुओं को दे दूं तो इनका जीवन बच जाएगा। उसने अपना सारा धन तुरन्त ही डाकुओं को सौप दिया। इस प्रकार उसने अपनी उन व्यापारी शत्रुओं की जान बचा ली। डाकू संतुष्ट होकर वापिस चले गए। उन व्यापरी मित्रों ने उस शत्रु की प्रशंसा की और अब उससे मित्रता कर ली पर उस मूर्ख मित्र को वे भला-बुरा कहने लगे। मूर्ख मित्र ने तो उनका जीवन संकट में डाल दिया था लेकिन भला हो उसे शत्रु का जिसने हमारी जान बचा ली।
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