Hindi, asked by hemantsharma97719381, 3 months ago

मेरे लिए खड़ा था, दुखियों के द्वार पर तू।
मैं बाट जोहता था, तेरी किसी चमन में||अर्थ लिखो​

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Answered by tripathiakshita48
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व्याख्या: कवि अपनी पंक्तियों में दावा करता है कि जब भगवान फूलों की क्यारी या बगीचे में उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे, तब कवि पीड़ा के द्वार पर दस्तक देकर उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। भगवान इस समय के दौरान एक दुखी व्यक्ति के आँसू के रूप में कवियों के लिए बह रहे थे, जिसका अर्थ है कि भगवान चाहते थे कि कवि उन गरीबों की सहायता करें और उनके आँसू पोंछकर उनके दुखों को कम करें।

इस समय कवि संसार में मान-सम्मान और धन-सम्पत्ति अर्जित करने में लगे हुए थे। कवि कह रहा है कि दूसरों की सेवा करना ही ईश्वर की सेवा करना है। भगवान को खुश करने की कोशिश करने के बजाय उन कामों को करना चाहिए जो भगवान को खुश करते हैं।

‘मेरे लिए खड़ा था, दुखियों के द्वार पर तू।

मैं बाट जोहता था, तेरी किसी चमन में || ’ रामनरेश त्रिपाठी की कविता "अन्वेषण" की ये कुछ शुरुआती पंक्तियाँ हैं।

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