Hindi, asked by yashipatel2011, 10 months ago

मेरा माँझी मुझसे कहता रहता था
बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना ।
पर जो बार-बार बाधा बन के आएँ,
उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना ।
जानबूझ कर जो मेरे पथ में आती है,
भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें ।
मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हूँ,
उतनी ही मिलती हैं, ये ग्रीवा ताने ।
रख अपनी पतवार, कुदाली को लेकर
तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ ।
राह बनाकर नाव चढ़ाए जाता हूँ,
जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं
भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।

पतवार और कुदाली किसका पृतिनिधित्व करवाते हैं।​

Answers

Answered by kartikey07
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Answer:

मेरा माँझी मुझसे कहता रहता था

बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना ।

पर जो बार-बार बाधा बन के आएँ,

उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना ।

जानबूझ कर जो मेरे पथ में आती है,

भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें ।

मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हूँ,

उतनी ही मिलती हैं, ये ग्रीवा ताने ।

रख अपनी पतवार, कुदाली को लेकर

तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ ।

राह बनाकर नाव चढ़ाए जाता हूँ,

जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं

भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।

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