मेरा माँझी मुझसे कहता रहता था
बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना ।
पर जो बार-बार बाधा बन के आएँ,
उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना ।
जानबूझ कर जो मेरे पथ में आती है,
भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें ।
मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हूँ,
उतनी ही मिलती हैं, ये ग्रीवा ताने ।
रख अपनी पतवार, कुदाली को लेकर
तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ ।
राह बनाकर नाव चढ़ाए जाता हूँ,
जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं
भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।
(क) राह में आने वाली बाधाओं के साथ कवि कैसा व्यवहार करता है
(ख) कवि ने हमें क्या प्रेरणा दी है ? स्पष्ट कीजिए ।
(ग) कवि ने अपना माँझी किसे कहा है ?
(घ) उन्नत भाल' का क्या आशय है ?
(ङ) जीवन की नैया का चतुर खिवैया' किसे कहा गया है।
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- (1)raah mein aane wali badaho ko kavi kuchalkar aage badh jaata hai.
- (2)kavi ne hame sadev aage badhte rehene ki aur har musibat ka saamna kar aage badhne ke prerna de raha hai.
- (3)kavi ne apne subh chintak ko manjhi kaha hai.(isme mujhe doubt hai ok)
raoankit4554:
main ye karke toh aaya hoon
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(क) राह में आने वाली बाधाओं के साथ कवि कैसा व्यवहार करता है?
उत्तर - राह में आने वाली बाधाओं के साथ कवि टकराव का व्यव्हार करता है ।
(ख) कवि ने हमें क्या प्रेरणा दी है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - कवि ने आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है । कवि कहता है की हर मुसीबत का सामना डट कर करो और उनको कुचलते रहो ।
(ग) कवि ने अपना माँझी किसे कहा है ?
उत्तर - कवि ने अपने दिल को अपना मांझी बताया है ।
(घ) उन्नत भाल' का क्या आशय है ?
उत्तर - उन्नत भाल से कवि का आशय है नदी का उफान अर्थात उतार चढ़ाव
(ङ) जीवन की नैया का चतुर खिवैया' किसे कहा गया है ?
उत्तर - जो व्यक्ति मुसीबतों से टकराता है और मुसीबतों का सामना करता है उसे ही जीवन की नैया का चतुर खिवैया कहा गया है।
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