मोर मुकुट कट का चीनी कर मुरली उरमाल है मानक मेरे मन बस हो सदा बिहारी लाल बाग बने पटका बनो बनो लाल कोविड-19 बिहारी लाल की मैं दौड़ आरती लेस दोहा हिंदी में
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वृंदावन (मथुरा)। मोर मुकुट कटि काछनी कर मुरली उर माल। यहि बानिक मो मन बसौ सदा बिहारीलाल..।। जन-जन के आराध्य ठाकुर बांकेबिहारी महाराज शरद पूर्णिमा पर स्वर्ण रजत सिंहासन पर सुशोभित हुए। प्रभु ने मोर मुकुट, कटि काछनी और वंशी धारण कर भक्तों को निहाल किया। अपने आराध्य की झलक पाने को श्रद्घालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। शरद पूर्णिमा के अवसर पर बांकेबिहारी मंदिर श्वेत वस्त्रों के साथ रंग-बिरंगे गुब्बारों और झालरों से सजाया गया। सुबह राजभोग आरती 12 बजे के स्थान पर 12:55 बजे और शयन भोग आरती 9:30 बजे के स्थान पर रात 10:25 बजे हुई। दर्शनों का समय बढ़ने से भक्तों के आनंद का ठिकाना नहीं रहा। मंदिर सेवायतों ने भक्तों को प्रसाद वितरण किया। ठाकुरजी के दिव्य दर्शन पाकर भक्त निहाल हो गए
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