Hindi, asked by Vishwawts, 2 months ago

माराम समाप कीजिर
के जन जाबा की मातिर रस न कर
लेती है​

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Answered by aastha3101
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Answer:

श्रावणी मेला महोत्सव में शामिल होने के लिए बिहार, बंगाल, उत्तर-प्रदेश समेत झारखंड एवं नेपाल के विभिन्न इलाकों से आनेवाली लहेरी समाज के द्वारा सामूहिक रूप से भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि कि रात्रि भव्यता पूर्वक फौजदारी बाबा बासुकीनाथ का भव्य श्रृंगार किया गया। इस अवसर पर समाज के द्वारा बाबा बासुकीनाथ, पार्वती मंदिर, काली मंदिर, शत्रु संहारिणी बगलामुखी माता मंदिर, आनंद भैरव मंदिर, काल भैरव मंदिर, श्रीकृष्ण मंदिर सहित मंदिर के अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना किया गया। लहेरी समाज के शंकर लहेरी, कमल कुमार, रवि, दीपक, अमर लहेरी ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों से बासुकीनाथ के मेला में दुकानदारी करने के लिए आनेवाले समाज के सदस्यों के द्वारा समाज में सुख, शांति, समृद्धि व व्यापार में बरकत तथा परस्पर भाईचारे की मंगल कामना को लेकर प्रतिवर्ष यह आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही मेला के शांतिपूर्वक समापन हो जाने, अच्छी कमाई होने के पश्चात भोलेनाथ के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए प्रतिवर्ष श्रावणी मेला के पश्चात निर्धारित तिथि पर यह पूजन का आयोजन समाज के द्वारा होता है। इसमें समाज के सदस्यों के द्वारा श्रृंगार किया गया। वहीं माता पार्वती, माता काली को साड़ी, ब्लाउज, फीता, शीशा, ¨सदूर, ¨बदी, मेहंदी, काजल से श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूजा के उपरांत समाज के द्वारा ब्राह्माण भोजन, कुंवारी कन्या भोजन एवं सामूहिक भोजन का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के सफल आयोजन में समाज के सैकड़ों सदस्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

Answered by Anonymous
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Answer:

श्रावणी मेला महोत्सव में शामिल होने के लिए

बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश समेत झारखंड एवं नेपाल के विभिन्न इलाकों से आनेवाली लहेरी समाज के द्वारा सामूहिक रूप से भाद्रपद मास की शुक्ल पंचमी तिथि कि रात्रि भव्यता पूर्वक फौजदारी बाबा बासुकीनाथ का भव्य श्रृंगार किया गया। इस अवसर पर समाज के द्वारा बाबा बासुकीनाथ, पार्वती मंदिर, काली मंदिर, शत्रु संहारिणी बगलामुखी माता मंदिर, आनंद भैरव मंदिर, काल भैरव मंदिर, श्रीकृष्ण मंदिर सहित मंदिर के अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना किया गया। लहेरी समाज के शंकर लहेरी, कमल कुमार, रवि, दीपक, अमर लहेरी ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों से बासुकीनाथ के मेला में दुकानदारी करने के लिए आनेवाले समाज के सदस्यों के द्वारा समाज में सुख, शांति, समृद्धि व व्यापार में बरकत तथा परस्पर भाईचारे की मंगल कामना को लेकर प्रतिवर्ष यह आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही मेला के शांतिपूर्वक समापन हो जाने, अच्छी कमाई होने के पश्चात भोलेनाथ के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए प्रतिवर्ष श्रावणी मेला के पश्चात निर्धारित पर यह पूजन का आयोजन समाज के द्वारा होता है। इसमें समाज के सदस्यों के द्वारा श्रृंगार किया गया। वहीं माता पार्वती, माता काली को साड़ी, ब्लाउज, फीता, शीशा, सदूर, बदी, मेहंदी, काजल से श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूजा के उपरांत समाज के द्वारा ब्राह्माण भोजन, कुंवारी कन्या भोजन एवं सामूहिक भोजन का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के सफल आयोजन में समाज के सैकड़ों सदस्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

Explanation:

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