"मेरी मातृभाषा" विषय पर लगभग 60 शब्दों में एक सुंदर अनुच्छेद लिखें ।
if the answer will be wrong I will report you
Answers
Answer:
एक भारतीय नागरिक हूँ। मेरा जन्म कोलकाता के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। हिंदी मेरे खून में दौड़ता है, और हिंदी केवल व दूसरी भाषा है जिसका प्रयोग मैं कर सकता हूँ।
(I am an Indian. I was born in a Marwari family in Kolkata. Hindi is in my blood, and it is the only other language I can speak comfortably.)
मैं अपनी पहचान अपनी कला पर निर्धारित करता हूँ। मैं एक लेखक हूँ, और मुझे इस बात पर बड़ा गर्व है। लेकिन मैं हिंदी का नहीं, परन्तु अंग्रेजी भाषा का लेखक हूँ। मेरी पूरी शिक्षा अंग्रेजी भाषा मैं हुई है। मेरे मन कि हर सोच अंग्रेजी के माध्यम से जन्म लेती है।
(I base my identity on my skill. I am a writer, and I am proud of it. But I am not a Hindi writer, I am a writer of English. All my education growing up has been in English. I think in English.)
मैं यह निबंध हिंदी में लिख रहा हूँ ताकि मुझे हिंदी में सोचना पड़े। यह लिखने में मुझे कठिनाई महसूस हो रही है। लेकिन इस स्तिथि में एक प्रश्न उठता है। मुझे हिंदी में सोचने कि ज़रुरत क्या है? इसका महत्व क्या है?
(I am writing this essay so that I am forced to think in Hindi. I am struggling to write this. But that raises a question. Why do I need to think in Hindi at all? What is the point?)
एक भाषा केवल शब्दों का संकलन नहीं होता है। हर एक भाषा में होती है उसकी संस्कृति। हर शब्द से जुड़ता है ना केवल उस शब्द का अर्थ पर उस शब्द से जुडी भावनाए। हर शब्द का महत्त्व उसकी इतिहास से पता चलता है। और हर भाषा में खिलता है उस भाषा का प्रयोग करने वालो का गौरव।
(A language is not just a collection of words. Every language embodies the culture that comes with it. A word carries not just a meaning but also a feeling attached to it. The value of a word comes from its history. And every language blooms with the pride of those who use it.)
अगर आपने कभी एक भाषा सीखने की कोशिश की है, तो आप जानते है की वह कितना कठिन और महत्त्वपूर्ण कार्य है। आप जानते है की जो आप एक कक्षा में सीखेंगे, वह सीख अधूरी है। भाषा का असली प्रयोग आप तब समझेंगे जब आप गाँव या शहर के लोगो से बात करेंगे। हर व्यक्ति के बोलचाल में कुछ सूक्ष्म अंतर है।
(If you’ve ever tried to learn a language, then you can appreciate how difficult a task that is. You know that what you learn in a classroom is incomplete. You learn the reality of a language when you talk to the native speakers. Every person has a nuance to their use of the language.)
मैंने हिन्दू परिवार में जन्म लिया है। यह सचाई को अगर मैं अनदेखा करू, तो इसमें मेरा नुक्सान है। अगर मैं हिंदी में नहीं सोच सकता हूँ तो मैं अपनी पहचान से पूरी तरह वाकिफ नहीं हूँ। मैं अपनी जन्मभूमि, अपने लोग, और अपने संस्कृति से परे हूँ। मेरी पहचान नकली और अधूरी है।
(I was born in a Hindu family. If I try to ignore this fact, then I am the one losing out. If I can’t think in Hindi, then I am not fully cognizant of my identity. I am separated from my birthplace, my people, and my culture. My identity is fake and incomplete.)
अगर आप यह पढ़ रहे है, मेरी आपसे विनती यह है की आप अपने पहचान पर चिंतन करे। हम में से कोई भी ऐसा नहीं है जो एक वैक्यूम में जन्मा हो। हम सब अपने परिवार का, अपनी संस्कृति का, अपने मातृभूमि का और अपने इतिहास का एक परिणाम है। अगर हम इस परिणाम के हर तत्व पर गर्व न कर सके, तो हमारी ज़िन्दगी में हमेशा एक अकेलापन और अधूरापन रहेगा।
(If you are reading this, I encourage you to think about your identity. None of us was born in a vacuum. We are the summation of our family, our culture, our home, and our history. If we can’t be proud of each element of this summation, then we will always feel a loneliness and incompleteness in our lives.)
मैं शायद अपनी भाषा का प्रयोग अच्छे से ना कर पाऊं। हिंदी साहित्य बहुत सुन्दर और गहरी है और यह निबंध उस साहित्य को शोभा नहीं देती । एक हिंदी लेखक की कला कुछ अलग ही होती है। परन्तु मैं इस बात पर ज़रूर गर्व करता हूँ की आज मैंने हिंदी में सोचने की चेष्टा की।
(Maybe I will never be able to use my language properly. Hindi literature is beautiful and deep, and this essay does not do it justice. A Hindi writer has a different flair to them. But I can at least be proud of the fact that today I thought in Hindi.)