मेरे माता पिता की व्यक्तित्व कार्यशैली एवं उपलब्धियों का मुझ पर क्या प्रभाव पड़ा है विस्तार में लिखिए
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आजकल के माता पिता के पास अपने बच्चों के लिए समय नहीं है और यही कारण है कि बच्चे आलसी होते जा रहे और उनके व्यक्तित्व का विकास जिस ढंग से होना चाहिए वह हो नहीं पा रहा और इसके लिए हम जिम्मेदारी किसी और के कंधे पर डाल रहे है जो गलत है। अत: बच्चों का समुचित विकास चाहते है तो उनके लगातार संपर्क में रहें,उनसे बात करें उनकी समस्याओं को जाने,तभी हम सच्चे मायने में अभिभावक कहलाने के अधिकारी होंगे। यह बात किडजी अकादमी की प्राचार्य अनीता सिंह ने बच्चों के साथ शारीरिक और मानसिक शोषण पर आयोजित हुई कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में 375 मिलियन से अधिक बच्चे है जिनमें से 69 फीसदी बच्चे शारीरिक और मानसिक शोषण के शिकार है। बच्चों की बातों को अनदेखा कर देना या उस पर ध्यान नहीं देना आजकल सबसे ज्यादा यह हो रहा है इसलिए बच्चे शारीरिक और मानसिक शोषण का शिकार हो रहे है। इसलिए माता पिता को अपने बच्चों के लिए समय निकालना बेहद आवश्यक है। समाजसेवी अतुल सिंह ने कहा कि अभिभावकों के लिए सबके पास समय है पर अपने बच्चों के लिए किसी के पास समय नहीं है बस यही समय न देने की कमी से हम बच्चों को अपने से दूर कर उन्हें शोषण का शिकार बना रहे है। कार्यशाला में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। SORRY BRO WRITING MAI TIME LAG GUYA
उन्होंने कहा कि हमारे देश में 375 मिलियन से अधिक बच्चे है जिनमें से 69 फीसदी बच्चे शारीरिक और मानसिक शोषण के शिकार है। बच्चों की बातों को अनदेखा कर देना या उस पर ध्यान नहीं देना आजकल सबसे ज्यादा यह हो रहा है इसलिए बच्चे शारीरिक और मानसिक शोषण का शिकार हो रहे है। इसलिए माता पिता को अपने बच्चों के लिए समय निकालना बेहद आवश्यक है। समाजसेवी अतुल सिंह ने कहा कि अभिभावकों के लिए सबके पास समय है पर अपने बच्चों के लिए किसी के पास समय नहीं है बस यही समय न देने की कमी से हम बच्चों को अपने से दूर कर उन्हें शोषण का शिकार बना रहे है। कार्यशाला में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। SORRY BRO WRITING MAI TIME LAG GUYA
pappu82:
I think it's too short
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