Hindi, asked by shania71, 1 year ago

मीरा मगन भई हरि के गुण गाय।
साँप पिटारा राणा भेज्यो, मीरा हाथ दियो जाय।
न्हाय-धोय जब देखण लागी, सालिगराम गई पाय।।
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ज़हर का प्याला राणा भेज्या, अमृत दीन्ह बनाय।
न्हाय-धोय जब पीवण लागी, हो गई अमर अँचाय।।
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सल सेज राणा ने भेजी, दीज्यो मीरा सुलाय।
Meaning

Answers

Answered by syedtahir20
13

मीरा मगन भई हरि के गुण गाय॥

व्याख्या :-

• प्रस्तुत पद में मीरा की भक्ति - भाव को

दर्शाया गया है । मीरा प्रभु कृष्ण की भक्ति में

मगन है। अतः उनके भक्ति में लीन हो चुकी है।

सांप पिटारा राणा भेज्या, मीरा हाथ दिया

जाय।

न्हाय धोय जब देखन लागी, सालिगराम गई  पाय॥

व्याख्या :-

- राणा ( उसके पति के पिताजी ) ने उसको

मारने हेतु सांप का एक पिटारा भेजता है ,

परन्तु मीरा के छूने से ही वह पिटारा पत्थर बन

जाता है ।

जहरका प्याला राणा भेज्या, इम्रत दिया  बनाय।

न्हाय धोय जब पीवन लागी, हो गई अमर

अंचाय॥

व्याख्या :-

• फिर राणा उसे मारने के लिए दूसरा उपाय

ढूंढता है । अब वह जहर का एक प्याला

भेजता है,जिसको खुशी - खुशी मीरा पी लेती

है । उसके पश्चात् भी मीरा की मृत्यु नहीं होती।

वह जहर अमृत के समान हो जाता है ।

सूली सेज राणा ने भेजी, दीज्यो मीरा सुवाय।

सांझ भई मीरा सोवण लागी, मानो फूल

बिछाय॥

व्याख्या :-

• फिर राणा एक चाल चलता है , और सूली

का सेज उसको देता है । जैसे ही सांझ होने पर

मीरा सोती है , तो वह सेज फूलों के सामान

कोमल बन जाता है । अतः पूरा सेज ऐसा

लगता है मानो किसी ने फूलों को बिछाया हो ।

मीरा के प्रभु सदा सहाई, राखे बिघन हटाय।

भजन भाव में मस्त डोलती, गिरधर पर बलि

जाय॥

व्याख्या :-

• वस्तुत: मीरा के प्रभु उसके भक्ति से प्रसन्न

होकर , उसकी हमेशा रक्षा करते रहें । वही

मीरा ,कृष्ण के भक्ति में मगन होकर , भजन

करते हुए यहां - वहां डोलती रहती है ।

नोट :- राणा को मीरा का भक्ति भावना ,

कतई पसंद नहीं था । उसके हिसाब से , मंदिर

में भजन करना , नाचना कुल को बर्बाद करना

था । इसलिए वो , मीरा की मारना चाहता था ।

Answered by khushikpatel2004
1

Answer:

answer is in the picture

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