मेरौ मन अनत कहाँ सुख पा
जैसे उड़ि जहाज़ को पंछी, फिरि जहाज़ पर आवै।।
कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव को ध्यावै।
परम गंग को छाँड़ि पियासो, दुरमति कूप खनावै।।
जिहिं मधुकर अंबुज-रस चाख्यो, क्यों करील-फल भावै।
सूरदास प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन दुहावै ka aarth
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kyuki aapne aaj worksheet group hai to isne bhedge sakte hai kya pasand is a call baat kar lo accha I am sanjana kumari roll no problem with out dress up.
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